अब शाम 4 बजे भाजपा को अपना बहुमत साबित करना है. भाजपा के पास 104 विधायक हैं. जो बहुमत के आंकड़े 112 से कम है. वहीं कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस के पास 38 विधायक हैं.
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नई दिल्ली : कर्नाटक में सत्ता का ताज अंतत: किसके सिर सजेगा, इसका फैसला आज (19 मई ) शाम 4 बजे हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा से कहा है कि वह शनिवार शाम 4 बजे कर्नाटक विधानसभा में अपना बहुमत साबित करें. पहले भाजपा को राज्यपाल ने बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था. लेकिन कांग्रेस ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए येदियुरप्पा को शनिवार को बहुमत साबित करने के लिए कहा.
अब शाम 4 बजे भाजपा को अपना बहुमत साबित करना है. भाजपा के पास 104 विधायक हैं. जो बहुमत के आंकड़े 112 से कम है. वहीं कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस के पास 38 विधायक हैं. कुल मिलाकर कांग्रेस और जेडीएस के पास 116 विधायक हैं. लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के इन 116 विधायकों में 20 विधायक ऐसे हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह येदियुरप्पा की सरकार बचा सकते हैं. ये विधायक लिंगायत समुदाय से आते हैं. इनमें 18 लिंगायत विधायक कांग्रेस के और 2 लिंगायत विधायक जेडीएस के हैं.
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ये संभावनाएं हैं भाजपा के पक्ष में
इन 20 विधायकों के बारे में कहा जा रहा है कि ये शक्ति परीक्षण के समय क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि इन लिंगायत विधायकों का अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए ऐसा करना लाजिमी लगता है. चुनाव से पहले कांग्रेस ने घोषणा की थी, कि वह लिंगायतों को अलग धर्म के तौर पर मान्यता देगी. ये मुद्दा चुनाव में उस पर उल्टा पड़ गया. सबसे ज्यादा लिंगायत समुदाय ने इन चुनावों में भाजपा को वोट दिया.
कर्नाटक भाजपा के एक नेता ने बताया, 'मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बीएस येदियुरप्पा ने विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर वोट देने की अपील की थी. इस अपील से साफ था, कि वह विपक्षी दलों में मौजूद लिंगायत विधायकों को अपनी ओर खींचना चाहते थे. कांग्रेस के एक और डर को बताते हुए उत्तरी कर्नाटक से आने वाले कांग्रेसी नेता मानते हैं कि येदियुरप्पा की हार से केवल लोकसभा चुनावों में लिंगायत वोट बीजेपी के पक्ष में ही जाएंगे.' वहीं बीजेपी के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, 'कांग्रेस और जेडीएस के बीच विश्वास की कमी को देखते हुए मिड-टर्म विधानसभा चुनाव की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है.'