वैसे तो कहा जाता है कि शिशु को ओवर-फीडिंग जैसी कोई दिक्कत नहीं आती है लेकिन ऐसा नहीं है. कई बार इस मामले में भी गलती हो जाती है. शिशु को कम और ज्यादा फीड करवाने को लेकर आपको समझ विकसित करनी होगी.
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नई दिल्ली: क्या आपके जीवन में कुछ ही दिनों में बच्चा आने वाला है या फिर आप हाल ही में मां बनी हैं? मातृत्व बहुत सारी खुशियां लेकर आता है और यह हम सब जानते हैं लेकिन साथ ही वह लाता है कई प्रकार की जिम्मेदारियां जो आपने पहले नहीं निभाई होतीं केवल सुना होता है. हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स जिससे आपके लिए मातृत्व का यह सफर सुंदर, सरल और मजेदार बना रहेगा.
वैसे तो कहा जाता है कि शिशु को ओवर-फीडिंग (यानी कि अधिक दूध पिलाने या खिलाने) जैसी कोई दिक्कत नहीं आती है लेकिन ऐसा नहीं है. कई बार इस मामले में भी गलती हो जाती है. शिशु को कम और ज्यादा फीड करवाने को लेकर आपको समझ विकसित करनी होगी.
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छह महीने की उम्र तक के शिशुओं के लिए आहार के ज्यादा ऑप्शन नहीं होते हैं. आप या तो स्तनपान करवा सकती हैं या फिर डिब्बे का दूध पिला सकती हैं. बेहतर तो है कि स्तनपान ही करवाएं लेकिन हम आपसे दोनों पर चर्चा करेंगे ताकि यह पता लगे कि कौन सा विकल्प ज्यादा अच्छा है और किस चीज का बच्चे के विकास पर क्या असर होगा.
स्तनपान करने वाले शिशुओं को एक पूरे दिन में 8 से 10 बार दूध पिलाना सही रहता है. मां को वही खाना या पीना चाहिए जो वह बच्चे के लिए भी उचित समझती हो. शिशु को हर 2-3 घंटे में दूध पिलाएं. आप जो कुछ भी खाएंगी या पिएंगी, वह दूध के जरिए आपके शिशु को मिलेगा. वहीं डिब्बे का दूध पीने वाले शिशुओं को एक पूरे दिन में 6 से 8 बार दूध देने की सलाह दी जाती है.
देखा गया है कि स्तनपान करवाने वाली मांएं बच्चों को उनके रोने या मांगने पर ही दूध देती हैं. मगर जरूरी नहीं है कि ऐसा किया जाए. उनके शरीर को कम से कम 8 से 10 बार दूध की जरूरत रहती है. एक बार से लेकर अगली बार के बीच में ज्यादा गैप न रखें.
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अपने शिशु को कब दूध के अतिरिक्त कुछ ठोस खान पान देना है यह आपको उसके संकेतों को समझकर फैसला लेना होगा. धीरे-धीरे ही यह शुरुआत करें. कोई एक ठोस चीज यानी दूध के अतिरिक्त यदि कुछ और खिलाने जा रही हैं तो उसे पतला रखें और हफ्ते भर तक किसी ओर ठोस पदार्थ को न दें. यानी, एक हफ्ते में एक ही प्रकार का ठोस पदार्थ दें. शुरुआत में इस रूल को जरूर फॉलो करें.
वैसे यह भी संभव है कि कुछ भी नया खाते समय नन्हें बच्चे को शुरुआत में अपच हो सकती है. रागी पाउडर या फिर सूजी या कच्चा मैश किया हुआ केला दिया जा सकता है, बच्चे की बॉडी का रिएक्शन भी देखें कि वह इसे खाकर कैसा महसूस कर रहा है. उसे तकलीफ तो नहीं हो रही है.