सोमवार को भी दिल्ली की सुबह रही धुंध भरी, वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब'
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सोमवार को भी दिल्ली की सुबह रही धुंध भरी, वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब'

सोमवार को दिल्‍ली का ओवरऑल एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स (एक्‍यूआई) 323 रहा, जो कि बेहद खराब की श्रेणी में आता है.

दिल्‍ली की हवा में नहीं हो रहा है सुधार. फाइल फोटो

नई दिल्ली : दिल्ली में सोमवार सुबह धुंध छाई रहने के साथ वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई और यहां का न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मौसम का सामान्य तापमान है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक अधिकारी ने कहा, "सुबह धुंध छाई रही. सुबह 8.30 बजे आद्र्रता का स्तर 90 प्रतिशत दर्ज किया गया. आसमान साफ रहेगा, बारिश की कोई संभावना नहीं है."

वायु गुणवत्ता और मौसम पूवार्नुमान प्रणाली (सफर) के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. वहीं, एक दिन पहले रविवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस. वहीं अधिकतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री अधिक 28.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. सोमवार को दिल्‍ली का ओवरऑल एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स (एक्‍यूआई) 323 रहा, जो कि बेहद खराब की श्रेणी में आता है.

मौसम विज्ञानियों ने दिन में आसमान साफ रहने और शाम तक हल्के-फुल्के बादल हो जाने का पूर्वानुमान व्यक्त किया है. मंगलवार सुबह हल्की धुंध रह सकती है. अधिकतम तापमान करीब 28 डिग्री सेल्सियस रह सकता है. रविवार को अधिकतम तापमान 28.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, वहीं न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा.

वहीं केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए वह बादलों के ‘‘उपयुक्त’’ स्तर और घनत्व का इंतजार कर रहा है और आईएमडी से मंजूरी का इंतजार कर रहा है. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रक्रिया वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए दीर्घकालीन समाधान नहीं है.

मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनसीएपी) की शुरुआत मध्य दिसम्बर तक हो सकती है, क्योंकि इसके अधिकतर अधिकारी रविवार से होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पोलैंड गए हुए हैं. वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए एनसीएपी में कई रणनीतियां प्रस्तावित हैं.

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर शीत ऋतु में अक्सर गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है. अधिकारियों ने कहा कि हवा में प्रदूषक तत्वों को दूर करने के लिए वे ‘क्लाउड सिडिंग’ के माध्यम से कृत्रिम बारिश करा सकते हैं. ‘क्लाउड सिडिंग’ विभिन्न तरह के रासायनिक एजेंटों के बादलों के साथ सम्मिश्रण की प्रक्रिया है जिसमें सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आईस और टेबल सॉल्ट भी होता है. इससे बादलों का घनत्व बढ़ाया जाता है जिससे बारिश की संभावना बढ़ जाती है.

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘हम विभिन्न चीजों के साथ प्रयोग कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि संकट की स्थिति और दीर्घावधि में क्या कारगर रहेगा. क्लाउड सिडिंग उस रणनीति का हिस्सा है जहां हम देखना चाहते हैं कि क्या कृत्रिम बारिश से प्रदूषकों को कम करने में मदद मिलेगी.’’

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