अंधेरे में मोबाइल फोन का इस्तेमाल है खतरनाक, इस आदत से करें तौबा
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अंधेरे में मोबाइल फोन का इस्तेमाल है खतरनाक, इस आदत से करें तौबा

रात में सोते वक्त हम अक्सर मोबाइल फोन (Mobile Phones) का इस्तेमाल करते हैं, ये हमारी आदतों में शुमार हो चुका है, लेकिन क्या आप इससे होने वाले नुकसान के बार में जानते हैं?

अंधेरे में मोबाइल फोन का इस्तेमाल है खतरनाक, इस आदत से करें तौबा

नई दिल्ली: साइंटिस्ट्स इस बात का खुलासा काफी पहले कर चुके हैं कि आपके स्मार्ट फोन और लैपटॉप स्टीन से निकलने वाली नीली रोशनी दिखने में भले ही खतरनाक न लगे, लेकिन आखों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है और इससे मैक्यूलर डिजनरेशन (Macular Degeneration) की भी समस्या आती है.

  1. रात में स्मार्ट फोन न करें यूज
  2. आखों को हो सकता है नुकसान
  3. मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा

क्या है मैक्यूलर डिजनरेशन?

मैक्यूलर डिजनरेशन (Macular Degeneration) आंखों से जुड़ी परेशानी है. जिसमें रेटिना (Retina) में कमी आ जाती है यानी इसे नुकसान होने लगता है. इसका सीधा असर आंखों की देखने की क्षमता पड़ता है. आमतौर पर ये समस्या 60 से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है लेकिन एक्सपर्ट्स को अंदेशा है कि ब्लू लाइट टेकनोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल से ये दिक्कत यंग लोगों को भी पेश आ सकती है.

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ब्लू लाइट से क्यों होता है नुकसान?

अगर लाइट स्पेक्ट्रम की बात करें तो नीले रंग का वेवलेंथ बाकी मेन कलर्स के मुकाबले छोटा है. यही वजह है कि ब्लू कलर लाल रंग के मुकाबले ज्यादा एनर्जी कैरी करता है. वो अतिरिक्त ऊर्जा आखों को नुकसान पहुंचाती है और अगर अंधेरे में इसका इस्तेमाल किया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है.

अपने रेटिना का बचाएं

रेटिना (Retina) में एक तरह के मॉलिक्यूल मौजूद होते हैं जो एंटीऑक्सिडेंट के तौर पर काम करते हैं, वो आंखे की कोशिकाओं को खत्म होने से बचाते हैं, लेकिन अगर आप लगातार ब्लू लाइट को आखों पर डालेंगे तो एंटीऑक्सिडेंट का असर कम हो जाएगा और मैक्यूलर डिजनरेशन (Macular Degeneration) का खतरा बढ़ जाएगा.

इस खतरे को कम कैसे करें?

सबसे पहले हमें अंधेरे में मोबाइल फोन यूज करने की आदत से तौबा कर लेनी चाहिए, खासकर रात में सोते वक्त हम अक्सर ऐसी गलती करते हैं. अगर सेलफोन का इस्तेमाल करना मजबूरी हो तो कमरे की लाइट जलाकर ऐसा करें. मार्केट में कई ऐसे चश्मे मौजूद हैं जो ब्लू लाइट को फिलटर कर देते हैं इससे आखों को होने वाले नुकसान में कमी आती है.

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