इरेक्टाइल डिसफंक्शन: शादीशुदा जीवन पर डाल सकता है बुरा असर, जानें इसके कारण और इलाज के असरदार तरीके!
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इरेक्टाइल डिसफंक्शन: शादीशुदा जीवन पर डाल सकता है बुरा असर, जानें इसके कारण और इलाज के असरदार तरीके!

इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) एक आम समस्या है जिससे कई पुरुष जूझ रहे हैं. यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति यौन क्रिया के लिए पर्याप्त रूप से उत्तेजित नहीं हो पाता या उत्तेजना बनाए नहीं रख पाता.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन: शादीशुदा जीवन पर डाल सकता है बुरा असर, जानें इसके कारण और इलाज के असरदार तरीके!

इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) एक आम समस्या है जिससे कई पुरुष जूझ रहे हैं. यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब कोई व्यक्ति यौन क्रिया के लिए पर्याप्त रूप से उत्तेजित नहीं हो पाता या उत्तेजना बनाए नहीं रख पाता. यह समस्या अस्थायी हो सकती है, लेकिन अगर यह बार-बार होती है तो यह गंभीर हो सकती है.

इंस्टीट्यूट ऑफ एंड्रोलॉजी एंड सेक्शुअल हेल्थ (IASH) के फाउंडर डॉ. चिराग भंडारी के अनुसार, भारत में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED) एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. खासकर डायबिटीज की हाई दर के कारण इसे 'इंपोटेंट कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड' भी कहा जाता है. आंकड़ों के अनुसार, 40 से 70 साल के बीच के लगभग 52 प्रतिशत पुरुषों को ED की समस्या होती है और यह उम्र के साथ बढ़ती जाती है.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कई कारण हो सकते हैं. कम उम्र के पुरुषों में इसका प्रमुख कारण मानसिक होता है, जैसे कि तनाव, डिप्रेशन या यौन प्रदर्शन की चिंता. इसके अलावा कुछ एंटीडिप्रेसेंट दवाइयों का सेवन भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकता है. वहीं, बड़ी उम्र के पुरुषों में शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं, जैसे ब्लड सर्कुलेशन की कमी, हार्मोनल असंतुलन (कम टेस्टोस्टेरोन), हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा या संबंधों से जुड़ी समस्याएं इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण बन सकती हैं. इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी की चोट वाले पुरुषों में भी यह समस्या हो सकती है.

इरेक्टाइल डिसफंक्शन का निदान और इलाज
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के निदान के लिए डॉक्टर कई तरह की जांच करते हैं, जिसमें हार्मोनल टेस्ट, ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड शामिल हो सकते हैं. इसके इलाज के लिए कई ऑप्शन उपलब्ध हैं, जैसे:
* ओरल मेडिकेशन (सिल्डेनाफिल, टाडालाफिल)
* लाइफस्टाइल में बदलाव: डाइट और व्यायाम में सुधार, तनाव कम करना, धूम्रपान छोड़ना, शराब का सेवन कम करना
* मनोचिकित्सा या काउंसलिंग
* हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
* वैक्यूम इरेक्शन डिवाइस
* पेनाइल इंजेक्शन
* सर्जरी (गंभीर मामलों में)

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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