हाई स्ट्रेस वर्क कल्चर के कारण छिन रहा एम्प्लॉइज का सकून, ऑफिस एनवायरनमेंट को कैसे सुधारे?
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हाई स्ट्रेस वर्क कल्चर के कारण छिन रहा एम्प्लॉइज का सकून, ऑफिस एनवायरनमेंट को कैसे सुधारे?

Work Stress: अगर आपके दफ्तर में काम का दबाव हद से ज्यादा है तो ये आपके मेंटल हेल्थ के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है, इससे ऑफिस एनवायरनमेंट खराब होता है.

हाई स्ट्रेस वर्क कल्चर के कारण छिन रहा एम्प्लॉइज का सकून, ऑफिस एनवायरनमेंट को कैसे सुधारे?

Mental Health Support In High Stress Work Culture: आपने हाल में ही सुना होगा कि वर्क प्रेशर की वजह से एक प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली महिला की मौत हो गई, हालांकि पहले भी भारत समेत दुनियाभर में ऐसे मामले सामने आए हैं जब हद से ज्यादा टारगेट अचीव करने की कोशिश कर्मचारियों के लिए घातक साबित हुई है. इन कारणों से अक्सर वर्क लाइफ बैलेंस की बात की जाती है, जो मौजूदा वक्त की मांग है. आइए जानतें हैं कि काम के दबाव को कैसे कम किया जा सकता है, जिससे दर्दनाक घटना फिर से देखने को न मिले.

"मेंटल हेल्थ सबसे अहम"

डॉ. जिनी के गोपीनाथ (Dr. Jini K Gopinath), चीफ साइकोलॉजिकल ऑफिसर (योर दोस्त) ने का कहना है, "कॉर्पोरेट वर्ल्ड में हाल की घटनाओं ने हमें याद दिलाया है कि वर्क प्लेस पर वेलनेस का मतलब पॉलिसीज और फैसिलिटीज से कहीं ज्यादा है. इसका मतलब ऐसे वातावरण का निर्माण करना है जहां कर्मचारी को सचमुच में सपोर्ट मिले, उनको अहमियत दी जाए और वो साइकोलॉजिकी सेफ महसूस करें."

ऑफिस का एनवायरनमेंट कैसे सुधारें?

 "मेंटल हेल्थ सिर्फ एक इंसान की लड़ाई नहीं है, ये एनवायरनमेंट से प्रभावित होता है, जिसमें कलीग, वर्क प्लेस पर पॉलिसीज और प्रैक्टेज शामिल हैं. इन इनिशिएटिव्स को तैयार करते वक्त अलद-अलग पीढ़ियों की परेशानिया, एक मिक्सड एनवायरनमेंट और काम के नेचर का ध्यान रखा जाना चाहिए."

छोटे कदम लगाएंगे बड़े बदलाव

क्लीनिकल साइकोलॉजिट्स डॉ. गोपीनाथ ने आगे कहा, "मेंटल हेल्थ डे एक पॉवरफुल रिमाइंडर है कि मानसिक स्वास्थ्य को हर रोज प्रायोरिटी दी जानी चाहिए, खासकर वर्क प्लेस पर. इसकी शुरुआत छोटे, पर्सनल स्पेट्स से होती है, छोटे-छोटे ब्रेक लेना, फिजिकली एक्टिव रहना या डेली बेसिस पर माइंडफुलनेस की एक्सरसाइज करना. लेकिन असली बदलाव तब होता है जब कंपनियां खुली बातचीत के लिए सुरक्षित स्थान बनाती हैं, मेंटल हेल्थ रिसोर्सेज तक पहुंच बढ़ाती हैं और लीडर्स को डिस्ट्रेस के शुरुआती इशारे को पहचानने के लिए ट्रेन करती हैं. लीडरशीप की भागदारी इस तरह की पहल में ईमानदारी लाने वाला सबसे अहम कदम है. जो वर्क प्लेस इसे अच्छी तरह से लागू करते हैं, वो वेलनेस को अपनी पीपुल्स मैनेजमेंट का आधार बनाने में सक्षम हैं."
 

(Disclaimer:प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मक़सद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)

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