लगातार किसी चीज एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने से उनके भीतर स्वतः ही यह आदत आ जाएगी. यह चीज संगीत या नृत्य हो सकती है. आपके मन में ख्याल आया होगा की बिना ध्यान के आप संगीत या नृत्य कभी नहीं सीख सकते.
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नई दिल्ली: कुछ महीनों पहले तक सब सामान्य था. बच्चे स्कूल जाते थे और घर आकर होमवर्क भी करते है. माता-पिता निश्चिन्त थे, लेकिन कोरोना वायरस के कारण देशभर में लगे लॉकडाउन के चलते सब कुछ गड़बड़ा गया. हालांकि इसका समाधान स्कूल वालों ने ऑनलाइन के जरिए निकाल तो लिया है, लेकिन इसका फायदा कितने बच्चे उठा पा रहे हैं, यह अभिभावक बेहतर जानते हैं. बच्चों के एक कार्टून प्रोग्राम रुद्रा में उसके दादाजी कहते हैं की बेटा "फोकस एंड ब्लीव से तुम कुछ भी हासिल कर सकते हो.''
इन दिनों हम सभी यही सोच रहे हैं की बच्चों में एकाग्रता कैसे बढ़ाई जाए. वह आधा घंटा ही सही, किन्तु ध्यान लगाकर पढ़ें. क्या मोबाइल और कंप्यूटर उनकी एकाग्रता को भंग कर रहे हैं? यह भी एक कारण है. हर स्कूल, हर माता-पिता को एक कोशिश करने की आवश्यकता है की वह बच्चों में ध्यान करने का अभ्यास कराएं.
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लगातार किसी चीज एक चीज पर ध्यान केंद्रित करने से उनके भीतर स्वतः ही यह आदत आ जाएगी. यह चीज संगीत या नृत्य हो सकती है. आपके मन में ख्याल आया होगा की बिना ध्यान के आप संगीत या नृत्य कभी नहीं सीख सकते.
देखिए यह हमें समझना होगा की कोई भी आदत या संस्कार अपने आप नहीं आते. यह या तो देख कर आते हैं या फिर अभ्यास से आते हैं. कंप्यूटर और मोबाइल बच्चों को नाकाबिल बना रहे है. बच्चों को बड़ा करने का मतलब सिर्फ उसे स्कूल भेजना नहीं है. आपके बच्चे का मन और शरीर पूरी क्षमता तक विकसित होना चाहिए. तभी उसके जीवन में कामयाबी आएगी.
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ऐसे बढ़ाएं बच्चों की एकाग्रता
- हर रोज सुबह बच्चों को कहिए की उन्हें सारे गामा पा गाना है, केवल 15 मिनट. गायत्री मंत्र या ॐ सूर्य नमः बोलने के लिए भी कह सकते हैं.
- उनके साथ पासिंग द बॉल खेलिए. इससे उनका धयान एक जगह केंद्रित होना शुरू होगा.
- उन्हें एक्टिविटीज में इनवॉल्व करिए, जैसे कि सिर पर किताब रख कर चलना. इसमें उन्हें मजा आएगा.
- उन्हें केवल 15 मिनट मुहं पर उंगली लगाकर बैठने के लिए बोलिए. इस अभ्यास को प्रतिदिन करवाइए. इससे उसमें सबसे अधिक अंतर आएगा.
- उन्हें अंधेरे में सोने की आदत डालिए. इससे वह अभयासरत होंगे. कई बार हमें किसी जगह का पता नहीं मालूम होता है. यानी की पोस्टल एड्रेस हम नहीं जानते हैं, लेकिन अंदाजे से वहां पहुंच जाते हैं और हर बार पहुंच जाते हैं. इसे ही ध्यान कहते हैं. यह अभ्यास से ही आता है.