नई रिसर्च में पाया गया है कि अकेलेपन का डिमेंशिया के खतरे से सीधा संबंध हो सकता है. दुनियाभर में छह लाख से अधिक प्रतिभागियों पर किए गए 21 लॉन्गटर्म अध्ययनों की समीक्षा से यह खुलासा हुआ है.
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क्या आप अकेले रहना पसंद करते हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए चिंताजनक हो सकती है. एक नए अध्ययन के अनुसार, अकेले रहने वाले लोगों में डिमेंशिया होने का खतरा 30% तक बढ़ जाता है. जी हां, आपने सही सुना! अकेलापन सिर्फ इमोशनल नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है.
नई रिसर्च में पाया गया है कि अकेलेपन का डिमेंशिया के खतरे से सीधा संबंध हो सकता है. दुनियाभर में छह लाख से अधिक प्रतिभागियों पर किए गए 21 लॉन्गटर्म अध्ययनों की समीक्षा से यह खुलासा हुआ है कि अकेलेपन के कारण डिमेंशिया का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. यह जोखिम उम्र या लिंग पर निर्भर नहीं करता, बल्कि अकेलापन किसी भी उम्र में डिमेंशिया के खतरे को बढ़ा सकता है.
अध्ययन में क्या आया सामने?
अकेलापन को अब गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारक माना जाता है. यह शोध मानसिक स्वास्थ्य पर अकेलेपन के प्रभाव को और मजबूत करता है. अध्ययन में पाया गया कि अकेलापन न केवल डिमेंशिया का खतरा बढ़ाता है, बल्कि इसके लक्षण, जैसे कि सोचने-समझने की क्षमता में कमी या याददाश्त में गिरावट, बीमारी के शुरुआती चरणों से पहले ही दिखाई देने लगते हैं.
मेमोरी लॉस की दिक्कत
डिमेंशिया और अकेलेपन दोनों का असर व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता, मेमोरी शक्ति और सोचने की प्रक्रिया पर पड़ता है. हालांकि, डिमेंशिया के लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि वे व्यक्ति की डेली जीवन की एक्टिविटी में बाधा डालते हैं. अकेलापन एक मानसिक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति समाज से कटा हुआ महसूस करता है और इसे अब गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का एक रिस्क फैक्टर माना जाता है.
एक्सपर्ट का क्या कहना?
फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर और इस अध्ययन की मुख्य लेखक मार्टिना लुचेत्ती के अनुसार, डिमेंशिया एक लंबी प्रक्रिया है, जिसके लक्षण बीमारी के शुरू होने से दशकों पहले ही दिखने लगते हैं. यह जरूरी है कि हम अकेलेपन और डिमेंशिया के बीच के संबंधों पर और गहराई से अध्ययन करें. इस शोध में पाया गया कि अकेलेपन के कारण अल्जाइमर का खतरा 39 प्रतिशत, वैस्कुलर डिमेंशिया का 73 प्रतिशत और कॉग्निटिव गिरावट का 15 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.