दुनिया में लैंगिक समानता की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है. यूएन की रिपोर्ट से साफ समझ आता है कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्र होने के लिए अभी और इंतजार करने की जरूरत है.
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संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि वैश्विक स्तर पर 2 अरब महिलाओं और लड़कियों की स्थिति पुरुषों के मुकाबले काफी खराब है. "विकास में महिलाओं की भूमिका पर विश्व सर्वेक्षण 2024" शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में लैंगिक असमानता की गहरी समस्या को उजागर किया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच का अंतर बढ़ रहा है. कई नीतियों—जैसे बेरोजगारी संरक्षण, पेंशन और स्वास्थ्य देखभाल—का लाभ महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कम मिल रहा है. इस स्थिति के कारण महिलाओं और लड़कियों में गरीबी की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ गयी है.
पुरुषों को मिलता है ज्यादा फायदा
रिपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस (17 अक्टूबर) के कुछ दिन पहले पेश किया गया है. इससे पता चलता है कि 2015 के बाद से सामाजिक सुरक्षा के स्तर में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन इसके बावजूद लैंगिक असमानता में कोई गिरावट नहीं है. यह दर्शाता है कि हाल में किए गए सरकारी निर्णयों में पुरुषों को अधिक लाभ पहुंचा है.
महिलाओं को मैटरनिटी बेनिफिट्स भी नहीं
रिपोर्ट में महिलाओं की प्रगति के बारे में भी जानकारी दी गई है. हालांकि, यह चिंता का विषय है कि दुनिया भर में 63 प्रतिशत से अधिक महिलाएं अब भी मातृत्व लाभ के बिना बच्चे को जन्म देती हैं. खासकर, अफ्रीकी महाद्वीप के कई देशों में यह आंकड़ा 94 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इससे महिलाएं आर्थिक रूप से कमजोर बनती है, जिससे उनके और उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
ज्यादा गरीब महिलाएं
रिपोर्ट में लिंग आधारित गरीबी पर विशेष ध्यान दिया गया है. इसमें बताया गया है कि गरीबों में महिलाओं और लड़कियों की संख्या सबसे अधिक है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो बच्चे पैदा करने की आयु में हैं. 25-34 वर्ष की आयु की महिलाओं में, समान आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में अत्यंत गरीब घरों में रहने की संभावना 25 प्रतिशत अधिक है. संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं इसकी संभावना को और बढ़ा रही है.