भले ही हो चाहे जितना शोर, गाड़ी में बैठते ही नींद क्‍यों आने लगती है?
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भले ही हो चाहे जितना शोर, गाड़ी में बैठते ही नींद क्‍यों आने लगती है?

क्या आपने कभी सोचा है कि लोगों को गाड़ी में बैठते ही नींद क्यों आने लगती है? ज्यादातर लोगों का जवाब न होगा. इसीलिए आज हम आपको इस सवाल का सबसे सटीक जवाब देंगे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली: अक्सर ऐसा होता है कि ट्रेन, बस या कार में सफर करते वक्त लोगों को नींद आ जाती है. बिना गद्दे और तकिया के न सोने वाले लोग भी सफर के दौरान सीट पर बैठे-बैठे सो जाते हैं. उस वक्त चाहे ट्रेन या बस में कितना भी शोर क्यों न हो रहा हो, लेकिन उनकी नींद में कोई खलल नहीं पड़ता. ऐसे में सवाल है कि आखिर ऐसे क्यों होता है? कैसे लोग हिलती हुई गाड़ी और शोर को नजरअंदाज कर अच्छी नींद ले लेते हैं? चलिए जानते हैं इसका जवाब...

  1. गाड़ी में बैठते ही क्यों आने लगती है नींद?
  2. हिलती गाड़ी और शोर क्यों नहीं डालता नींद में खलल?
  3. क्या ऐसा हवा के कारण होता है? या कुछ और

सफर में क्यों आने लगती है नींद?

दरअसल, कार या ट्रेन में नींद आने के कई कारण हैं. कई लोगों का मानना है कि जब आप सफर में रहते हैं तो दिमाग शांत रहता है और इसी वजह से नींद आ जाती है. जबकि कुछ लोगों का कहना है कि सफर में चेहरे पर हवा लगने से अच्छी नींद आती है. वहीं, इसके साइंटिफिक रीजन के बारे में जानें तो यह रॉकिंग सेंसेशन (Rocking Sensation) की वजह से होता है. जिस तरह बच्चे को पालने में झूलते हुए नींद आ जाती है, ठीक वैसे ही सफर में जब आपकी बॉडी  थोड़ी-थोड़ी हिलती है तो आपको नींद आने लगती है.

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एक ही फ्लो में हिलने से आती है नींद

जब आप हल्के-हल्के एक ही फ्लो में हिलते रहते हैं तो उसे रॉकिंग सेंसेशन कहा जाता है. इससे आपके दिमाग पर सिंक्रोनाइजिंग इफेक्ट पड़ता है और आप धीरे-धीरे स्लिपिंग मोड में चले जाते हैं. इसे स्लो रॉकिंग भी कहा जाता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इससे दिमाग में सोने के लिए इच्छा उत्पन्न होने लगती है और धीरे धीरे नींद आ जाती है. इसके प्रमाण के लिए एक रिसर्च में अलग-अलग तरह के बेड पर लोगों को सुलाया गया था, जिसमें झूले की तरह हिलने वाले बेड पर जल्दी नींद आ गई थी.

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