भारतीय रस्में सारी दुनिया में मशहूर हैं. बात जब शादी की हो तो हिंदू रीति-रिवाजों की अपनी धूम है. उनमें संस्कारों के साथ रिश्तों, मोहब्बत व आशीर्वाद का संगम नजर आता है. जानिए हिंदू विवाह की सभी रस्मों के बारे में.
हिंदू धर्म समेत अन्य धर्मों में भी सगाई का बहुत महत्व है. यह शादी का सबसे महत्वपूर्ण रीति-रिवाज माना जाता है. सगाई पर दो परिवार आपसी सहमति से अपने बच्चों की शादी का औपचारिक ऐलान रिश्तेदारों और करीबियों के सामने करते हैं. इसके बाद वर और वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं. सगाई को रिंग सेरेमनी भी कहते हैं.
‘मेहंदी लगाकर रखना, डोली सजाकर रखना, लेने तुझे ओ गोरी, आएंगे तेरे सजना’ बॉलीवुड में मेहंदी को लेकर बहुत से गाने बनाए गए हैं. इससे आप मेहंदी का महत्व समझ सकते हैं. शादी से पहले मेहंदी की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म में दुल्हन के हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाई जाती है. इस दौरान घर के सदस्य, रिश्तेदार और दोस्त जमकर मस्ती करती है. आमतौर पर मेहंदी से दुल्हन के हाथों पर उसके पिया का नाम लिखा जाता है.
शादी के रीति-रिवाजों की बात की जाए और संगीत की बात न हो, भला ऐसा कैसे हो सकता है. संगीत सेरेमनी में परिवार की महिलाएं गाने गाती हैं और डांस करती हैं. इस रस्म का हर कोई जमकर आनंद उठाता है.
इस कार्यक्रम में वर और वधू को शादी के पहले या शादी की सुबह हल्दी लगाई जाती है. वर और वधू को घर-परिवार के लोग और रिश्तेदार हल्दी लगाते हैं. शादी के पहले हल्दी लगाना शुभ माना जाता है.
इस रीति-रिवाज में दूल्हा अपने पिता, रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ दुल्हन के घर पहुंचता है. यहां पर दुल्हन के माता-पिता, सगे संबंधी सभी का तिलक लगाकर अभिनंदन करते हैं.
जब बारात मुख्य दरवाजे पर आती है तो सबसे पहले दूल्हे को टीका लगाकर आरती उतारी जाती है और फिर फीता काटा जाता है. इस दौरान सभी लोग जमकर इस रस्म का आनंद उठाते हैं.
इस रिवाज में दूल्हा और दुल्हन एक-दूसरे के गले में फूलों की माला पहनाते हैं. इसके बाद दोनों के घरवाले दोनों को आशीर्वाद देते हैं. जयमाला शादी का बहुत ही महत्वपूर्ण रिवाज है. जयमाला का अर्थ है कि वर और वधू ने एक-दूसरे को अपनी इच्छा से अपना जीवनसाथी स्वीकार कर लिया है.
यह एक ऐसी रस्म होती है, जिसमें हर कोई भावुक हो जाता है. इस रस्म में लड़की के माता-पिता अपनी बेटी के हाथ में पवित्र जल डालकर दूल्हे के हाथ में रखते हैं. इस दौरान दूल्हे के दुपट्टे और दुल्हन की साड़ी में गांठ बंधी रहती है. इस गांठ में सुपारी, तांबे के सिक्के और चावल बांधे जाते हैं. इन सब चीजों को शुभ माना जाता है.
फेरे की रस्म शादी की मुख्य रस्मों में से एक है. फेरों के बिना शादी को अधूरा माना जाता है. इस रस्म में दूल्हा और दुल्हन अग्नि के चारों ओर फेरे लेते हैं. पहले के तीन फेरों में दुल्हन आगे रहती है, जबकि अंतिम के चार फेरों में दूल्हा आगे चलता है. इस दौरान दोनों सात वचन लेते हैं और अग्नि को साक्षी मानकर जिंदगीभर एक-दूसरे का साथ निभाने का वचन देते हैं.
यह बेहद मजेदार रस्म होती है. इस रस्म को दुल्हन की बहनें निभाती हैं. इसमें दुल्हन की बहनें यानी दूल्हे की सालियां दूल्हे के जूतों को छिपाती हैं और इन्हें देने के बदले रुपए और गिफ्ट की डिमांड करती हैं. उसके बाद दूल्हा जूते मिल जाने पर अपनी सालियों को रुपए और गिफ्ट देता है. यह हंसी-मजाक और मस्ती भरी रस्म होती है. इसका दोनों पक्षों को बेसब्री से इंतजार रहता है.
विदाई एक ऐसी रस्म है, जिसमें सभी की आंखें नम हो जाती हैं. चाहे कोई कितना ही कठोर दिल क्यों न हो, इस भावुक क्षण में हर किसी की आंखों से आंसू छलक ही उठते हैं. इस रस्म में एक बेटी (दुल्हन) अपने बाबुल का घर छोड़कर अपने जीवनसाथी संग ससुराल विदा हो जाती है. इस दौरान घर की चौखट पार करने से पहले वह अपने घर में तीन मुट्ठी चावल और सिक्के अपने सिर के ऊपर से फेंकती है.
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