कोरोना संक्रमण (Coronavirus) से बचने के लिए हर कोई मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहा है और साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) का भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है. शोध के मुताबिक, भारतीयों की कुछ आदतें उन्हें अनजाने में कोरोना वायरस की चपेट में ला सकती हैं. जानिए 5 ऐसी आदतें, जिनकी वजह से बढ़ जाता है कोरोना संक्रमण (Coronavirus) का खतरा.
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नई दिल्ली. कोरोना (Coronavirus) का कहर कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है. भारत समेत दुनियाभर में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) लाखों लोगों की जीवन लीला समाप्त कर चुका है. कोरोना काल (Corona Era) में लोगों ने कई नई आदतों को अपनी जिंदगी में शामिल किया है. भारत के लोग बहुत जल्दी किसी भी माहौल में ढलने का हुनर रखते हैं. लेकिन हमारी कई आदतें कोरोना काल में खतरनाक साबित हो रही हैं.
इंसान की इन आदतों पर कई शोध भी हुए हैं. आज हम आपको उन आदतों के बारे में बताएंगे, जिनकी वजह से आप अनजाने में कोरोना संक्रमण (Corona Virus) की चपेट में आ सकते हैं.
अगर पार्टनर पर करते हैं तानेबाजी और गुस्सा
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुए शोध के मुताबिक, जो कपल (Couple) आपस में तानेबाजी और लड़ाई-झगड़ा करते हैं, उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम होती है. साथ ही जो पार्टनर आपस में प्यार से रहते हैं, उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है. तानेबाजी और झगड़ा करने वालों के शरीर में नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) रहती है. इससे शरीर में मौजूद टी-सेल की मात्रा कम हो जाती है. ऐसे लोगों को कोरोना (COVID-19) होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है.
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देर तक जगने से कोरोना का खतरा
शिकागो यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक, जो लोग देर रात तक जगते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं, उन्हें कोरोना (Coronavirus) होने का खतरा ज्यादा होता है. नींद पूरी न होने की वजह से ऐसे लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. अध्ययन के मुताबिक, 7-8 घंटे सोने वाले लोगों की रोध-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. इस वजह से उनको कोरोना होने का खतरा बहुत कम होता है.
लगातार काम करना पड़ सकता है भारी
अगर आप बिना छुट्टी लिए लगातार काम कर रहे हैं तो आपके लिए खतरे की घंटी कभी भी बज सकती है. लगातार काम करने से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ती है. इससे कोरोना होने का खतरा ज्यादा रहता है.
नकारात्मक सोच न रखें
कोरोना काल में नकारात्मक सोच (Negative Energy) भारी पड़ सकती है. नकारात्मक सोच से शरीर में टी-सेल की मात्रा कम हो जाती है, जिससे रोगों से लड़ने की क्षमता पर असर पड़ता है.
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एंटीबायोटिक पर न रहें निर्भर
एंटीबायोटिक दवाई (Antibiotic Medicine) का सेवन सिर्फ जरूरत पड़ने पर ही करें. अगर आप सामान्य बीमारियों में भी बार-बार एंटीबायोटिक दवाइयां खाते हैं तो यह खतरे की निशानी है. शोध के मुताबिक, एंटीबायोटिक दवाइयों के सेवन से रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है. इससे कोई भी बीमारी व्यक्ति को जल्द ही अपनी चपेट में ले लेती है.