क्या आप गर्भधारण करने में परेशानी का सामना कर रहे हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शरीर में किसी पोषक तत्व की कमी तो नहीं है? जी हां, आज हम बात करेंगे एक ऐसे विटामिन की कमी के बारे में जो आपकी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है.
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क्या आपने कभी सोचा है कि विटामिन डी की कमी का असर सिर्फ हड्डियों पर ही नहीं, बल्कि मां बनने के सपने पर भी पड़ सकता है? जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर धूप से दूर रहते हैं, जिसकी वजह से शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि विटामिन डी की कमी से महिलाओं में गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है और पुरुषों में भी स्पर्म की क्वालिटी प्रभावित हो सकती है? आइए जानते हैं विशेषज्ञों से विटामिन डी और इनफर्टिलिटी के कनेक्शन के बारे में विस्तार से.
नई दिल्ली के नर्चर आईवीएफ क्लिनिक की गायनेकोलॉजिस्ट और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अर्चना धवन बजाज का कहना है कि विटामिन डी प्रजनन क्षमता को काफी हद तक प्रभावित करने वाला एक उभरता हुआ फैक्टर है. अध्ययनों से पता चला है कि विटामिन डी की कमी अक्सर उन महिलाओं में गर्भधारण की दर को कम कर देती है, जो आईवीएफ करवा रही हैं. पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का लेवल अंडाणु की बेहतर क्वालिटी और भ्रूण के सफलतापूर्वक ट्रांसफर में मदद करता है, जबकि विटामिन डी की कमी वाली महिलाओं की तुलना में यह काफी बेहतर होता है. इतना ही नहीं, विटामिन डी की कमी वाली महिलाओं में अंडाशय का भंडार भी कम पाया गया है.
डॉ. अर्चना ने बताया कि जिन महिलाओं में विटामिन डी का लेवल कम था, उन्हें सामान्य रूप से गर्भवती होने में अधिक कठिनाई हुई. इसके अलावा, इन विटामिन डी की कमी वाली महिलाओं में आईवीएफ के जरिए गर्भधारण करने की प्रक्रिया भी जटिल हो सकती है. शोध के अनुसार, उचित विटामिन डी के लेवल वाली महिलाओं में सहायक प्रजनन तकनीकों (एआरटी) का उपयोग करने पर सामान्य विटामिन डी वाली महिलाओं की तुलना में जीवित जन्मों की दर अधिक, गर्भधारण सरल और प्रेग्नेंसी टेस्ट के ज्यादा पॉजिटिल परिणाम देखने को मिले.
अन्य समस्याएं
यदि आप पहले से ही गर्भवती हैं और आपके विटामिन डी का लेवल सामान्य सीमा में नहीं है, तो आपको भी कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान विटामिन डी का लेवल कम होने वाली महिलाओं में सामान्य विटामिन डी वाली महिलाओं की तुलना में प्री-एक्लेम्पसिया, गर्भकालीन डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की दर अधिक पाई गई. एक अन्य शोध से पता चलता है कि अपर्याप्त विटामिन डी वाली गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव और गर्भकालीन उम्र के हिसाब से कम वजन वाले बच्चों का खतरा अधिक होता है.
विटामिन डी और पुरुष फर्टिलिटी
अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पुरुषों में हाई लेवल के विटामिन डी को स्पर्म की क्वालिटी और गतिशीलता से जोड़ा गया है. अध्ययनों में संकेत मिले हैं कि जो पुरुष अधिक विटामिन डी का सेवन करते हैं, उनके स्पर्म में कैल्शियम की मात्रा बढ़ सकती है. इस बढ़े हुए कैल्शियम लेवल से स्पर्म की गतिशीलता बढ़ती है. इसके अलावा, अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पुरुषों में विटामिन डी की कमी होने पर स्पर्म की गतिशीलता और गतिशील स्पर्म की कुल संख्या प्रभावित हो सकती है. इस प्रकार, विटामिन डी की कमी को रोकने से पुरुष फर्टिलिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.