जब इस सीट पर नहीं पड़ा एक भी वोट, फिर भी विजयी हुए 'राजा' साहब
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जब इस सीट पर नहीं पड़ा एक भी वोट, फिर भी विजयी हुए 'राजा' साहब

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजे कुछ ही घंटों के अंतराल में आने वाले हैं. इससे पहले हम आपको बिलासपुर संसदीय क्षेत्र में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाबत बताते हैं. जिसमें राजा साहब बिना मतदान सांसद बनने में सफल हो गए थे. देश के पहले चुनाव के दौरान बिलासपुर एक रियासत का नाम था. इस रियासत के राजा थे आनंद चंद्र. 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में राजा आनंद चंद्र ने निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था.

जब इस सीट पर नहीं पड़ा एक भी वोट, फिर भी विजयी हुए 'राजा' साहब

नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के नतीजों से पहले आपको देश के पहले लोकसभा चुनाव बारे में बाबते हैं. 1951 में पहली बार देश की पहली लोकसभा के लिए चुनाव कराए गए. 489 संसदीय सीटों पर अपनी किस्‍मत आजमाने वाले 1874 उम्‍मीदवारों का फैसला 10.59 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करके किया. इस चुनाव में जहां कुल मतदाताओं की संख्‍या करीब 17.32 करोड़ थी, वहीं मतदान करने वाले मतदाताओं का प्रतिशत 44.87 था. इस चुनाव में एक संसदीय सीट ऐसी भी थी, जहां एक भी मतदाता ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. जी हां, संसदीय सीट का नाम था बिलासपुर. चुनावनामा में अब विस्‍तार से बात करते हैं बिलासपुर रियासत की.

  1. बिलासपुर, यादगीर ओर कोयंबटूर में नहीं पड़ सके थे वोट
  2. रियासत बिलासपुर से राजा आनंद चंद्र थे स्‍वतंत्र उम्‍मीदवार
  3. 1954 में बिलासपुर का हिमाचल प्रदेश में हुआ था विलय

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दरअसल, देश के पहले चुनाव के दौरान बिलासपुर एक रियासत का नाम था. इस रियासत के राजा थे आनंद चंद्र. 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में राजा आनंद चंद्र ने निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था. इस चुनाव के दौरान बिलासपुर रियासत में कुल मतदाताओं की संख्‍या 68,130 थी. मतदान के दिन इस रियासत में रहने वाले किसी भी मतदाता ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. जिसके चलते चुनाव आयोग ने इस संसदीय क्षेत्र के चुनाव को रिटर्न अनकंटेस्‍टेड घोषित कर दिया था. राजा आनंद चंद्र को इस लोकसभा सीट से निर्विरोध सांसद चुना गया. 1951 से लेकर 1954 इस रियासत की यही स्थिति बनी रही. 1 जुलाई 1954 को बिलासपुर रियासत का विलय हिमाचल प्रदेश में हो गया और बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश का नया जिला घोषित कर दिया गया.

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बिलासपुर की तरह कोयंबटूर और यादगीर संसदीय क्षेत्र में भी नहीं हुआ मतदान 
चुनाव आयोग के दस्‍तावेज खंगालने पर पता चला कि बिलासपुर देश का इकलौता संसदीय क्षेत्र नहीं था, जहां पर लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान नहीं हुआ. बिलासपुर रियासत की तरह मद्रास की कोयंबटूर और हैदराबाद का यादगीर संसदीय क्षेत्र में भी किसी भी मतदाता ने अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं किया. 3.46 लाख मतदाताओं वाले कोयंबटूर से टीए रामलिंगा इकलौते प्रत्‍याशी थे. टीए रामलिंगा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. वहीं, हैदराबाद रियासत के अंतर्गत आने वाली याद‍गीर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर कृष्‍ण चंद्र जोशी इकलौते प्रत्‍याशी थे. इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की संख्‍या करीब 3.62 लाख थी. इन दोनों संसदीय क्षेत्र को चुनाव आयोग ने रिटर्न अनकंटेस्‍टेड घोषित किया था. इस चुनाव में कांग्रेस के दोनों उम्‍मीदवारों को निर्विरोध सांसद चुन लिया गया था.

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