लोकसभा चुनावः 72 हजार के बाद अब कांग्रेस कर सकती है एक और बड़ी चुनावी घोषणा
Advertisement
trendingNow1511450

लोकसभा चुनावः 72 हजार के बाद अब कांग्रेस कर सकती है एक और बड़ी चुनावी घोषणा

पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति की ओर से तैयार घोषणापत्र के मसौदे को मंजूरी दी गई. अगले कुछ दिनों के भीतर पार्टी अपना घोषणापत्र जारी कर सकती है.

फाइल फोटो- PTI

नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) में सत्ता में वापसी कर रही कांग्रेस पार्टी अब नया ऐलान कर सकती है. खबरों की मानें तो न्यूनतम आय योजना (न्याय) और स्वास्थ्य के अधिकार के चुनावी वादे के बाद कांग्रेस अब अपने घोषणापत्र में दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक समाज के लिए कुछ बड़ी घोषणाओं की तैयारी में है जिनमें न्यायपालिका, खासकर ऊपरी अदालतों में इन वर्गों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का वादा प्रमुख हो सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, गत 26 मार्च को पार्टी की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में 'न्याय' को हरी झंडी देने के साथ ही अनुसूचित जाति-जनजाति, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्गों के संदर्भ में कई बिंदुओं एवं सुझावों पर गौर किया गया जिनमें से कई को स्वीकृति प्रदान की गई. इस बैठक पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाली समिति की ओर से तैयार घोषणापत्र के मसौदे को मंजूरी दी गई. अगले कुछ दिनों के भीतर पार्टी अपना घोषणापत्र जारी कर सकती है.

बैठक में मौजूद रहे पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, 'सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस सुझाव पर सहमति बनी कि न्यायपालिका और खासतौर पर ऊपरी अदालतों में अनुसूचित जाति-जनजाति और ओबीसी का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होना चाहिए. पूरी संभावना है कि घोषणापत्र में इसे जगह मिले.' 

यह भी पढ़ेंः अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ेंगे राहुल गांधी, यह सीट भी रही है कांग्रेस का गढ़

यह पूछे जाने पर पार्टी यह प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का क्या तरीका अपनाएगी तो उन्होंने कहा, 'यह सुझाव था कि न्यायपालिका के साथ समन्वय एवं सहमति बनाकर न्यायिक नियुक्ति आयोग या कोई और व्यवस्था बनाई जाए. इस पर पूरी सहमति थी कि ऐसा करने में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और स्वायत्तता पर किसी तरह कोई असर नहीं होना चाहिए.' 

गौरतलब है कि वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम-2014 के माध्यम से कुछ इसी तरह की पहल की थी लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था.

कांग्रेस नेता ने कहा, 'घोषणापत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी वर्गों के लिए कुछ और वादे भी किए जा सकते हैं. मसलन, इन वर्गों में जिनके सिर पर छत नहीं है उन्हें मकान या प्लॉट देने की बात पर सहमति बनी है.' वैसे, कांग्रेस के अनुसूचित विभाग ने समाज से जुड़े विभिन्न बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संस्थाओं से गहन विचार-विमर्श के बाद कुछ हफ्ते पहले ही पार्टी की घोषणापत्र समिति के पास कई सुझाव भेजे थे.

इनमें निजी क्षेत्र में आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, सभी राज्यों एवं केन्द्र सरकार की संस्थाओं एवं विभागों को मौजूदा आरक्षण व्यवस्था को सही ढंग से लागू करने, भूखण्ड एवं आवास की व्यवस्था करने और कार्यस्थलों पर अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोगों का जातिगत उत्पीड़न रोकने की प्रभावी व्यवस्था बनाने के सुझाव प्रमुख हैं.

Trending news