'सुनो छोटे भाई नीतीश, डरकर शॉर्ट कट ढूंढना और अवसर देख समझौता करना तुम्हारी पुरानी आदत है'
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'सुनो छोटे भाई नीतीश, डरकर शॉर्ट कट ढूंढना और अवसर देख समझौता करना तुम्हारी पुरानी आदत है'

'लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है. मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है. ग़रीबों के जीवन से तिमिर हटाने का उपकरण है. हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैरबराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अंधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे'

फाइल फोटो- PTI

पटनाः लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के छठे चरण में चुनाव सम्पन्न हो चुके है. बिहार की अब तक 32 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. यहां सातवें चरण में 19 मई को 8 सीटों पर मतदान होगा. बिहार में सीधा मुकाबला एनडीए और यूपीए के बीच है. सोमवार को लालू प्रसाद यादव ने फेसबुक पोस्ट के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना साधा और बिहार के लोगों को आगाह किया कि 'तीर (JDU) है घातक हथियार' लालू यादव ने अपनी पोस्ट में नीतीश कुमार को जनता की पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया है. अपनी पोस्ट के जरिए लालू यादव ने बताया है कि किस तरह से लालटेन (RJD) तीर(JDU) से बेहतर है. 

लालू यादव ने अपनी फेसबुक पोस्ट की शुरुआत में नतीश कुमार को छोटा भाई कहते हुए की है. लालू ने लिखा, 'सुनो छोटे भाई नीतीश, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तुम्हें आजकल उजालों से कुछ ज़्यादा ही नफ़रत सी हो गई है. दिनभर लालू और उसकी लौ लालटेन-लालटेन का जाप करते रहते हो. तुम्हें पता है कि नहीं, लालटेन प्रकाश और रोशनी का पर्याय है. मोहब्बत और भाईचारे का प्रतीक है. ग़रीबों के जीवन से तिमिर हटाने का उपकरण है. हमने लालटेन के प्रकाश से ग़ैरबराबरी, नफ़रत, अत्याचार और अन्याय का अंधेरा दूर भगाया है और भगाते रहेंगे. तुम्हारा चिह्न तीर तो हिंसा फैलाने वाला हथियार है. मार-काट व हिंसा का पर्याय और प्रतीक है.और हां जनता को लालटेन की ज़रूरत हर परिस्थिति में होती है.'

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'प्रकाश तो दिए का भी होता है और बल्ब का भी'
लालू यादव ने आगे अपनी पोस्ट में लिखा है, 'प्रकाश तो दिए का भी होता है. लालटेन का भी होता है और बल्ब का भी होता है. बल्ब की रोशनी से तुम बेरोज़गारी, उत्पीड़न, घृणा, अत्याचार, अन्याय और असमानता का अंधेरा नहीं हटा सकते, इसके लिए मोहब्बत के साथ खुले दिल और दिमाग से दिया जलाना होता है. समानता, शांति, प्रेम और न्याय दिलाने के लिए ख़ुद को दिया और बाती बनना पड़ता है. समझौतों को दरकिनार कर जातिवादी, मनुवादी और नफ़रती आंधियों से उलझते व जूझते हुए ख़ुद को निरंतर जलाए रहना पड़ता है.'

'तीर का ज़माना अब लद गया. तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा'
लालू यादव ने लिखा, 'तुम क्या जानो इन सब वैचारिक और सिद्धांतिक उसूलों को. डरकर शॉर्टकट ढूंढना और अवसर देख समझौते करना तुम्हारी बहुत पुरानी आदत रही है. और हां तुम कहां मिसाइल के जमाने में तीर-तीर किए जा रहे हो? तीर का ज़माना अब लद गया. तीर अब संग्रहालय में ही दिखेगा. लालटेन तो हर जगह जलता दिखेगा और पहले से अधिक जलता हुआ मिलेगा क्योंकि 11 करोड़ ग़रीब जनता की पीठ में तुमने विश्वासघाती तीर ही ऐसे घोंपे है. बाक़ी तुम अब कीचड़ वाले फूल में तीर घोंपो या छुपाओ. तुम्हारी मर्ज़ी.'

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