नगीना लोकसभा सीट साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई.
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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की नई लोकसभा सीटों में से एक नगीना आरक्षित सीट है. नगीना शिल्प कला के लिए मशहूर है. नगीना लोकसभा सीट साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के खाते में गई. साल 2014 में इस सीट पर भी मोदी लहर का असर दिखा और भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई. मुस्लिम बहुल होने के बावजूद भी ये सीट बीजेपी के पास गई.
यशवंत सिंह है यहां से मौजूदा सांसद
उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के यशवंत सिंह हैं. यशवंत सिंह ने समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह को 2014 के लोकसभा चुनाव में 92390 वोटों से हराया था. साल 2014 में हुए चुनावों में सपा दूसरे नंबर पर, बसपा तीसरे नंबर पर और पीईसीपी पार्टी चौथे नंबर पर रही थी. साल 2009 के लोकसभा चुनाव में ये सीट समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह ने जीती थी.
नगीना लोकसभा सीट का इतिहास
नगीना लोकसभा सीट का इतिहास इतना पुराना नहीं है, पहले ये हिस्सा बिजनौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता था. लेकिन साल 2008 में हुए परिसीमन के दौरान इसे अलग क्षेत्र बनाने की मांग शुरू हुई और 2009 के लोकसभा चुनाव में इसे अलग कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के यशवीर सिंह ने यहां पर जीत दर्ज की. लेकिन अगले ही चुनाव में उन्हें मुंह की खानी पड़ी. 2014 में चली बीजेपी की आंधी में यहां पर भी पार्टी को फायदा मिला और यशवंत सिंह ने बड़े अंतर से सीट दर्ज की.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है सीट
नगीना लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है, यहां करीब 21 फीसदी एससी वोटर हैं. हालांकि, यहां मुस्लिम वोटर भी कम नहीं हैं. अगर यहां आने वाली सभी विधानसभा सीटों का हिसाब लगाएं तो करीब 50 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर यहां पर हैं. यही कारण है कि राजनीतिक लिहाज से ये सीट काफी अहम है.