गोविंदा ने सबको चौंकाते हुए बीजेपी के राम नाईक को 48,271 वोटों से हरा दिया था. हालांकि सांसद बनने के बाद गोविंदा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वे दोबारा चुनाव में नहीं उतरे.
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मुंबई: देश की आर्थिक राजधानी फिल्मी जगत के साथ ही अंडरवर्ल्ड की वजह से भी सुर्खियों में बना रहा है. हालांकि की यहां की राजनीति भी बेहद दिलचस्प रही है. लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha elections 2019) में मुंबई की मुंबई उत्तर सीट सुर्खियों में है. इस सीट की पिछले दशक की राजनीति पर गौर करें तो एक बड़ा दिलचस्प वाक्या देखने को मिलता है. 1990-2000 के दशक में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता राम नाईक का सिक्का चलता था. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पावरफुल मंत्री रहे राम नाईक को हराने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बॉलीवुड के हीरो नंबर वन यानी गोविंदा को मैदान में उतारा था.
गोविंदा ने सबको चौंकाते हुए बीजेपी के राम नाईक को 48,271 वोटों से हरा दिया था. हालांकि सांसद बनने के बाद गोविंदा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और वे दोबारा चुनाव में नहीं उतरे.
भाजपा के गढ़ में कांग्रेस को उर्मिला से उम्मीद
2014 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर लोकसभा सीट पर बीजेपी के गोपाल शेट्टी ने कांग्रेस के संजय निरुपम को को 4.46 लाख मतों से शिकस्त दी थी. संजय निरुपम जैसे चर्चित चेहरे की इतनी बड़ी हार से कांग्रेस समझ चुकी थी कि इस सीट पर पार्टी की पकड़ कमजोर हो चुकी है. ऐसे में कांग्रेस ने एक बार फिर से इस सीट पर बीजेपी को चुनौती देने के लिए बॉलीवुड से चेहरा ढूंढ कर लाई है. कांग्रेस ने अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर को प्रत्याशी बनाया है.
फिर इसी सीट से लड़ना चाहते थे संजय
राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रखने वालों के मुताबिक निरुपम के इस सीट से इस बार चुनाव न लड़ने की इच्छा व्यक्त करने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में थोड़ी हताशा थी. उन्होंने कहा कि मातोंडकर ने सियासी मुद्दों को लेकर अपनी स्पष्टता से कई लोगों को चौंका दिया और यह भी साफ कर दिया कि बीजेपी को यहां चुनौती का सामना करना पड़ेगा और यह सीट उसके लिये आसान नहीं होने वाली.
परिसीमन में मुंबई उत्तर सीट पर घटे वोटर
मुंबई उत्तर जहां देश के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्रों में से एक थी लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसका क्षेत्र कम हुआ. दहीसर के बाद के इलाकों को जहां पालघर सीट में शामिल कर दिया गया वहीं मगाठाणे, चारकोप, कांदीवली (पूर्व) और मलाड (पश्चिम) जैसे नए विधानसभा क्षेत्रों को बढ़ते उपनगरों मलाड और कांदीवली से अलग कर मुंबई उत्तर सीट में शामिल किया गया.
छह में से 4 विधानसभा सीटें BJP के पास
बढ़ती आबादी, आवास, स्वास्थ्य देखभाल और परिवहन यहां मुख्य मुद्दे हैं और यहां के संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की कुछ आदिवासी बस्तियों में सुविधाओं की कमी भी अहम मुद्दा है. इस लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा क्षेत्रों में से चार- दहीसर, बोरीवली, कांदीवली (पूर्व) और चारकोप - भाजपा के पास हैं.
मगाठाणे अभी शिवसेना के पास है जबकि मलाड (पश्चिम) का प्रतिनिधित्व कांग्रेस के असलम शेख कर रहे हैं. इलाके में 18 लाख मतदाता हैं और 2014 के लोकसभा चुनावों में 53.07 प्रतिशत मतदान इस सीट पर हुआ था.
उर्मिला ने बढ़ाई BJP की मुश्किलें
मतदाताओं के साथ अपने सहज संपर्क का जिक्र करते हुए मातोंडकर ने कहा कि यह सहानुभूति और सम्मान से आता है जिनसे आप वोट मांग रहे हैं. उन्होंने बताया, 'मैं उनमें से ही एक हूं और उनसे मुझे अपना प्रतिनिधि बनाने को कह रही हूं. अगर मुझे मौका मिला और मैं उनकी उम्मीदों को पूरा कर सकी, जिसका मुझे भरोसा है कि मैं करूंगी, तो मैं एक नेता कहलाउंगी.'
गोविंदा का खराब प्रदर्शन उर्मिला को पहुंचाएगा नुकसान?
जानकारों के यह कहने के बावजूद कि मराठी मत इस सीट पर निर्णायक होंगे, मातोंडकर का दावा है कि वह “मराठी कार्ड” नहीं खेल रही हैं. वहीं शेट्टी के समर्थकों का मानना है कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ और उनके द्वारा इलाके में किये गए काम की बदौलत वह एक बार फिर चुनावी बाजी जीतेंगे. शेट्टी ने कहा कि उन्हें अपने काम पर भरोसा है और 2004 के चुनावों में अभिनेता गोविंदा को चुनने का लोगों का बुरा अनुभव रहा है. उन्होंने इस बात से इनकार किया कि छोटे कारोबारी जीएसटी लागू किये जाने के बाद भाजपा से नाराज हैं.
इनपुट: भाषा