लोकसभा चुनाव 2019: इत्र नगरी कन्‍नौज से लोहिया रह चुके सांसद, 1998 से फैल रही सपा की खुशबू
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लोकसभा चुनाव 2019: इत्र नगरी कन्‍नौज से लोहिया रह चुके सांसद, 1998 से फैल रही सपा की खुशबू

कन्‍नौज में इत्र बनाने का का अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर होता है. 1967 में कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया ने कांग्रेस को हराया था.

कन्‍नौज है इस बार भी हॉट सीट. फाइल फोटो

नई दिल्‍ली : लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha elections 2019) का परिणाम 23 मई को आ रहा है. इनमें से इत्र नगरी कन्‍नौज इस बार भी हॉट सीट के रूप में चर्चा में है. कन्‍नौज में इत्र बनाने का का अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर होता है. कन्नौज उत्तर प्रदेश के पुराने शहरों में से एक है, शहर का नाम संस्कृत के शब्द 'कान्यकुब्ज' से बना है. कन्नौज लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का कब्जा है. सपा का इस सीट पर 1998 से अब तक कब्‍जा रहा है.

1998 से है सपा का राज
साल 1967 में कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए पहले चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया ने कांग्रेस को हराया था. साल 1971 के चुनाव में कांग्रेस और 1977 में यहां जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी. 1980 में जनता पार्टी (सेक्‍युलर) ने यहां जीत का परचम लहराया. 1984 में यहां से कांग्रेस की टिकट पर शीला दीक्षित ने जीत दर्ज की थी.

 

1989 में जनता दल के छोटे लाल ने यहां से चुनाव जीता. 1991 में जनता पार्टी ने सीट पर कब्‍जा किया. 1996 में याहं बीजेपी पहली बार जीती. इसके बाद से अब तक बीजेपी के पास यह सीट नहीं गई. इसके बाद 1998 से अब तक यहां मुलायम सिंह यादव के परिवार का राज रहा है. 1998 में यहां से सपा की टिकट पर प्रदीप कुमार यादव जीते.

1999 में यहां से मुलायम सिंह यादव चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद 2000 से लेकर 2012 तक इस सीट से अखिलेश यादव तीन बार सांसद चुने गए. 2012 में सपा ने यहां से अखिलेश यादव की पत्‍नी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा. डिंपल यहां से चुनाव जीतीं. 2012 से अब तक वह यहां से सांसद हैं.

साल 2014 के समीकरण
साल 2014 में सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव पर लोगों ने यहां भरोसा किया और लोकसभा तक पहुंचाया. बीजेपी के सुब्रत पाठक यहां दूसरे, बीएसपी के निर्मल तिवारी तीसरे और आम आदमी पार्टी इमरान बिन जफर चौथे स्थान पर रहे थे. मोदी लहर के बावजूद डिंपल यादव ये सीट सपा के नाम करने में कामयाब रहीं. हालांकि डिंपल यादव और बीजेपी के सुब्रत पाठक के बीच मतों का बहुत अंतर नहीं था. डिंपल यादव को 4,89,164 वोट मिले थे जबकि, सुब्रत पाठक को 4,69,257 मिले थे.

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