लोकसभा चुनाव 2019: मोदी लहर में भी गुना की जनता ने सिंधिया को ही चुना था अपना प्रतिनिधि
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लोकसभा चुनाव 2019: मोदी लहर में भी गुना की जनता ने सिंधिया को ही चुना था अपना प्रतिनिधि

भाजपा को भी इस सीट पर तभी जीत हाथ लगी, जब सिंधिया घराने का सदस्य बीजेपी की तरफ से मैदान में उतरा.

ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)

गुनाः मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक मानी जाती है. कभी ग्वालियर रियासत का हिस्सा रही गुना लोकसभा सीट पर हमेशा से सिंधिया परिवार का ही राज रहा है. पहले राजमाता विजयाराजे सिंधिया फिर माधवराव सिंधिया और अब उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का इस सीट पर राज रहा है. गुना लोकसभा सीट से अब तक कांग्रेस 9 बार तो बीजेपी सिर्फ 4 बार ही जीत सकी है. बता दें इस सीट पर अब तक कुल 16 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से 13 बार सिंधिया राजघराने के ही सदस्यों को जीत मिली है. वहीं भाजपा को भी इस सीट पर तभी जीत हाथ लगी, जब सिंधिया घराने का सदस्य बीजेपी की तरफ से मैदान में उतरा.

2014 के राजनीतिक समीकरण
बात की जाए 2014 के चुनावों की तो मोदी लहर के बावजूद इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत हासिल हुई. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया को 1,20,792 वोटों के अंतर से हराया था. सिंधिया को इस चुनाव में 5,17,036 वोट मिले थे, तो वहीं भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया के खाते में 3,96,244 वोट रहे. बता दें गुना लोकसभा सीट पर किसी पार्टी नहीं बल्कि सिंधिया परिवार का नाम चलता है.

गुना का राजनीतिक इतिहास
गुना लोकसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो इस सीट पर पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ. पहले चुनाव में ग्वालियर रियासत की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी. इसके बाद राजघराने के दम पर जीत कांग्रेस की झोली में ही गिरी, 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतीं. 1971 में इस सीट से माधवराव सिंधिया ने जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ने का फैसला किया और जीत हासिल की. इसके बाद 1977 उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया और जीत का परचम लहराया.

1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ा और जीता भी, लेकिन इसके चलते परिवार में विवादों के बादल छा गए और मां-बेटे दोनों विरोधी पार्टी में शामिल हो गए. 1989 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने बीजेपी की टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. जिसके बाद 1999 में माधवराव सिंधिया ने जीत हासिल की. 2001 में माधवराव की एक प्लेन हादसे में मौत होने के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उनका कार्यभार संभाला और 2002 में उपचुनाव में जीत हासिल की. जिसके बाद 2009 और 2014 में उन्होंने लगातार गुना लोकसभा सीट से जीत हासिल की.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड
मध्य प्रदेश में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद सीएम की रेस में आगे रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों की बात की जाए तो क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए उन्हें 25 करोड़ की राशि आवंटित हुई थी, जिसका उन्होंने 82 फीसदी फंड खर्च किया, जबकि बाकि का 18 फीसदी फंड बिना खर्च किए रह गया. वहीं संसद में उनकी उपस्थिति 76 फीसदी रही.

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