जेटली ने कहा, ‘कामदार भारत की नौसेना की संपत्तियों का इस्तेमाल आतंक पर हमला करने के लिए करते हैं. नामदार परिवार और अपने ससुराल के लोगों के साथ निजी अवकाश मनाने के लिये इनका इस्तेमाल करते हैं.’
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नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी द्वारा परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए अईएनएस विराट पर जाने के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों से सहमति जताते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि ‘नामदारों’ ने भारत के नौसैनिक बेड़े का इस्तेमाल व्यक्तिगत कारणों से किया जबकि ‘कामदारों’ ने इसका इस्तेमाल आतंक पर हमला करने के लिये किया.
जेटली ने एक ट्वीट में कहा, ‘कामदार भारत की नौसेना की संपत्तियों का इस्तेमाल आतंक पर हमला करने के लिए करते हैं. नामदार परिवार और अपने ससुराल के लोगों के साथ निजी अवकाश मनाने के लिये इनका इस्तेमाल करते हैं.’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर गांधी परिवार के सदस्यों के लिये ‘नामदार’ और जो लोग देश के लिये कठिन परिश्रम करते हैं उनके लिए ‘कामदार’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं.
पीएम मोदी ने बुधवार को एक चुनावी रैली के दौरान गांधी परिवार पर राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान छुट्टी मनाने के लिये जंगी जहाज आईएनएस विराट का इस्तेमाल अपनी ‘निजी टैक्सी’ के तौर पर करने का आरोप लगाया था. राजीव गांधी 1984-89 तक देश के प्रधानमंत्री थे. राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में 21 मई 1991 को हत्या कर दी गई थी.
जेटली ने साधा राजीव गांधी पर हमला
एक अलग ट्वीट में जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी जिसने राजीव गांधी की हत्या के लिए डीएमके को जिम्मेदार ठहराया था, उसने अब आम चुनाव के दौरान तमिलनाडु में उसी क्षेत्रीय दल के साथ हाथ मिला लिया है.
जेटली ने कहा,‘दिसंबर 1990 से मई 1991 तक जब श्री राजीव गांधी की हत्या हुई, तब केंद्र में कांग्रेस पार्टी समर्थित चंद्रशेखर सरकार सत्तासीन थी . मई 1991 से 2004 तक कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या के लिए डीएमके को जिम्मेदार ठहराया. यहां तक कि उसने इसी आधार पर संयुक्त मोर्चा सरकार से भी समर्थन वापस लिया था. 28 साल बाद, आज बेचैन कांग्रेस ने बीजेपी की भूमिका ढूंढ ली है.’
जेटली की टिप्पणी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के उस बयान के जवाब में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी समर्थित वी पी सिंह सरकार ने राजीव गांधी को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने से मना कर दिया था और भरोसेमंद खुफिया सूचना और बार-बार अनुरोध के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सिर्फ एक पीएसओ को रखा गया था.