गिरिराज सिंह : बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, क्या जीत पाएंगे बेगूसराय की लड़ाई?
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गिरिराज सिंह : बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, क्या जीत पाएंगे बेगूसराय की लड़ाई?

गिरिराज सिंह के सियासी सफरनामे पर अगर गौर करें तो वह 2002 से 2014 तक लगातार विधान परिषद के सदस्य रहे. 2008 से 2010 तक उन्हें बिहार में नीतीश कैबिनेट में सहकारिता मंत्री बनाया गया.

गिरिराज सिंह का सियासी सफरनामा. (फाइल फोटो)

पटना : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह इस चुनाव में बेगूसराय लोकसभा सीट से भाग्य आजमा रहे हैं. पिछला चुनाव वह नवादा सीट से लड़े थे और जीत दर्ज की थी. सीट बदलने को लेकर वह खासे नाराज चल रहे थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय से वह खासे नाराज थे. उन्होंने इस मामले पर खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. बाद में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर गिरिराज सिंह के बेगूसराय से चुनाव लड़ने की बात कही. तब जाकर मामला शांत हुआ.

बिहार का बेगूसराय लोकसभा सीट बिहार की बाकी सीटों से काफी अलग है. इसे असल में सीपीआई का गढ़ माना जाता रहा, लेकिन खास बात यह है कि धीरे-धीरे यहां दबदबा कम हो गया. यहां से 2014 में भोला सिंह ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की थी. 2018 में उनका निधन हो गया. इससे पहले 2009 में यहां से जेडीयू के मोनाजिर हसन तो 2004 में भी जेडीयू के राजीव रंजन सिंह ने जीत दर्ज की थी.

गिरिराज सिंह के सियासी सफरनामे पर अगर गौर करें तो वह 2002 से 2014 तक लगातार विधान परिषद के सदस्य रहे. 2008 से 2010 तक उन्हें बिहार में नीतीश कैबिनेट में सहकारिता मंत्री बनाया गया. 2010 में वह पशु-मत्स्य संसाधन विकास विभाग के मंत्री बने. 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें केंद्र की मोदी बैकिनेट में भी दगह मिली. उन्हें सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला.

गिरिराज सिंह अपने बयानों को लेकर सदैव सुर्खियों में बने रहते हैं. इस चुनाव में भी वह चर्चा का केंद्र रहे. चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया है. चुनाव संपन्न होने के बाद आए अधिकांश एक्जिट पोल में उनकी जीत सुनिश्चित बतायी जा रही है.

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