अमेठी में 39 साल बाद स्मृति ईरानी ने खिलाया 'कमल', ये रही राहुल गांधी की हार की अहम वजह
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अमेठी में 39 साल बाद स्मृति ईरानी ने खिलाया 'कमल', ये रही राहुल गांधी की हार की अहम वजह

अमेठी की जनता ने गुरुवार को गांधी परिवार के साथ अपना 39 साल पुराना नाता तोड़ लिया. स्मृति ईरानी की जीत और राहुल गांधी की हार के साथ ही यह रिश्ता खत्म हो गया. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि अमेठी की जनता ने राहुल को इस बार आशीर्वाद नहीं दिया. 

स्मृति ईरानी को 468514 वोट मिले जबकि प्रतिद्वंदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 413394 वोट हासिल हुए.

अमेठी: अमेठी की जनता ने गुरुवार को गांधी परिवार के साथ अपना 39 साल पुराना नाता तोड़ लिया. यह एक ऐसा रिश्ता जो भावनाओं से भरा और भावनाओं से पोषित था. स्मृति ईरानी की जीत और राहुल गांधी की हार के साथ ही यह रिश्ता खत्म हो गया. उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित अमेठी सीट पर मतगणना समाप्त होने के बाद भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 55,120 वोटों से जीत की दर्ज की.

स्मृति ईरानी को 468514 वोट मिले जबकि प्रतिद्वंदी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 413394 वोट हासिल हुए. जिलाधिकारी-जिला निर्वाचन अधिकारी राम मनोहर मिश्रा ने ईरानी के प्रतिनिधि विजय गुप्ता को जीत का प्रमाणपत्र सौंपा. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने जीत के बाद कहा, "मैं खुश हूं कि राहुल जी ने पीएम मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया. अमेठी के लोगों ने वोट के जरिये हम पर अपना विश्वास जताया है. मैं उनका धन्यवाद करना चाहूंगी. मैं 2014 में मिली हार के बाद अमेठी में लगातार पिछले पांच साल से काम कर रही हूं. अब जीत मिलने के बाद फिर से काम करूंगी." 

अमेठी ने इस बार राहुल को वोट क्यों नहीं दिया?
जगदीशपुर के एक व्यवसायी बेचू खान ने परिणाम के बारे में बोलते हुए कहा, "अमेठी में एक पीढ़ीगत बदलाव देखा जा रहा है। नई पीढ़ी के पास भावनाओं के लिए बहुत कम जगह है और अपने भविष्य के बारे में अधिक चिंतित है जो उसने स्मृति ईरानी और भाजपा में देखा है." उन्होंने कहा, "इस नई पीढ़ी ने राजीव गांधी का स्थानीय लोगों से जुड़ाव नहीं देखा है. उन्होंने यह नहीं देखा कि संजय गांधी ने अमेठी को कैसे महत्वपूर्ण बनाया। इसलिए उनका गांधी परिवार के साथ भावनात्मक रिश्ता नहीं है."

 

युवा मतदाताओं ने जताया ईरानी पर भरोसा 
स्थानीय लोगों का कहना है स्मृति ईरानी को चुनने में मुख्य भूमिका युवा मतदाताओं ने निभाई है. मुसाफिरखाना से कांग्रेस कार्यकर्ता राम सेवक ने कहा, "वह (ईरानी) उनके पास पहुंचीं, उन्हें छात्रवृत्ति, नौकरी आदि दिलाने में मदद की. युवाओं को अपने भविष्य के लिए एक नई आशा दिखाई दी. स्थानीय भाजपा नेताओं ने स्मृति ईरानी और लोगों के बीच एक सेतु का काम किया। इस बार अमेठी में अपने हित के लिए मतदान किया है."

इसके अलावा, साल 2014 में अमेठी में स्मृति ईरानी ने एक लाख से अधिक मतों के अंतर से सीट हारने के बाद भी चुनाव प्रचार जारी रखा. वह नियमित रूप से निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करती रहीं और राहुल गांधी की अनुपस्थिति की ओर इशारा करती रहीं. दिल्ली में भी अमेठी के लोग उन तक आसानी से पहुंच सकते थे.

(इनपुट IANS से)

 

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