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एजेंसी. फर्राटे भरने के लिए अब आपकी जेब और ढीली हो सकती है. अभी तक आपको केवल कुछ हाइवे पर टोल देना पड़ता था लेकिन अब आपको उन हाइवे पर भी टोल देना पड़ सकता है जो टोल फ्री हैं.
कारण यह कि राज्य सरकारों द्वारा संचालित हाइवे के लिए पैसे की भारी कमी पड़ रही है. इससे निबटने के लिए सरकार निजी खिलाड़ियों को इस मैदान में उतारने की योजना बना रही है. ये हाइवे की मेंटनेंस के साथ उस पर आने जाने वाले यात्रियों से टोल भी वसूलेंगे.
सरकार के मुताबिक कई हाइवे लंबे समय तक बिना रिपेयरिंग के रह जाते हैं. इसकी एक बड़ी वजह फंड की कमी है. एक मिटिंग में यह फैसला लिया गया कि मिनिस्ट्री को बजट के अलावा भी किसी दूसरे तरीके से फंड की व्यवस्था करनी चाहिए. एक अधिकारी के मुताबिक यह हाइवे एक निश्चित समय के लिए किसी निजी कंपनी को सौंप दिए जाएंगे जिसमें हाइवे की मेंटनेंस और उसको ऑपरेट करने की जिम्मेवारी कंपनी की होगी.
एक निश्चित अवधि के समय पूरा हो जाने के बाद वो इसे एनएचएआई या राज्य सरकारों को सौंप देंगे. फिलहाल हाइवे निर्माण में निजी कंपनियों का उपयोग कैश कॉन्ट्रेक्ट मोड में होता है जिसमें वो केवल सड़क बनाने में शामिल होता है और सड़क बन जाने के बाद उसका कोई योगदान नहीं होता. इस साल सरकार ने हाइवे मेंटनेंस के लिए कुल 1,027 करोड़ रुपए का बजट रखा है जबकि जरुरत 2,800 करोड़ रुपए की है.