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नई दिल्ली : संसद का मानसून सत्र अगले सप्ताह खत्म होने के बाद डीजल की कीमतों में कम से कम तीन रुपए लीटर की बढ़ोतरी की जा सकती है, क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर होने से सरकार का ईंधन सब्सिडी बिल और बढ़ने की आशंका है।
पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि डीजल कीमतें बढ़ाने का हालांकि, फिलहाल कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं है, लेकिन रुपए में गिरावट चिंता का विषय है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 66 का स्तर पार कर जाने के साथ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को विदेश से कच्चा तेल खरीदने पर अधिक बिल चुकाना पड़ेगा। यदि ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए जाते हैं तो खरीद और बिक्री के अंतर की भरपाई सरकार को अपने खजाने से करनी पड़ेगी।
मोइली ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने दाम (डीजल के) बढ़ाने पर फिलहाल विचार नहीं किया है, लेकिन भविष्य के बारे में मैं कुछ कह नहीं सकता।’
तेल कंपनियों को डीजल के मौजूदा बिक्री मूल्य पर उसकी वास्तविक लागत के मुकाबले 10.22 रपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा है। महीने की शुरुआत में यह नुकसान 9.29 रुपये लीटर पर था। मई में यह नुकसान 3 रुपये लीटर से भी कम था। डीजल के दाम में तेल कंपनियां 50 पैसे लीटर हर महीने बढ़ोतरी कर रही हैं, लेकिन रुपये के तेजी से गिरते मूल्य की वजह से उनका नुकसान बढ़ता जा रहा है।
तेल कंपनियों को मिट्टी तेल पर 33.54 रुपये प्रति लीटर और घरेलू गैस सिलेंडर पर 412 रुपये प्रति सिलेंडर का भी नुकसान हो रहा है। (एजेंसी)