आईएसआई का नक्सलियों से है संबंध: डीजीपी वेस्ट बंगाल
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आईएसआई का नक्सलियों से है संबंध: डीजीपी वेस्ट बंगाल

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का पश्चिम बंगाल में प्रतिबंधित सिमी के माध्यम से नक्सल समर्थक संगठनों से निकट संबंध है और वह सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का रही है।

नई दिल्ली : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का पश्चिम बंगाल में प्रतिबंधित सिमी के माध्यम से नक्सल समर्थक संगठनों से निकट संबंध है और वह सरकार के खिलाफ लोगों को भड़का रही है।
माओवाद नक्सल प्रभावित नौ राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों की बैठक को संबोधित करते हुए पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक एन. मुखर्जी ने कहा कि उनके पास सूचना है कि कई माओवादी समर्थक संगठनों ने प्रतिबंधित सिमी के तत्वों से हाथ मिला लिया है जिसका आईएसआई से निकट संबंध है।
समझा जाता है कि मुखर्जी ने बैठक में कहा कि इन तत्वों ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद सहित तीन जिलों में संयुक्त रूप से कई बैठकें आयोजित कीं, मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के खिलाफ प्रदर्शन किया और लोगों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि आईएसआई का इन तत्वों के साथ सीधा संबंध है।
पहली बार किसी वरिष्ठ अधिकारी ने सरकार विरोधी गतिविधियों में नक्सलियों को आईएसआई द्वारा सहयोग करने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव आर. के. सिंह ने की और इसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों तथा उत्तरप्रदेश के प्रतिनिधि ने हिस्सा लिया।
पुलिस महानिदेशकों की उच्चस्तरीय बैठक में माओवादियों द्वारा बंधक बनाए जाने के संकट से निपटने के लिए बनाई जाने वाली नीति के मसौदे पर भी चर्चा की गई। नीति के मसौदे में सरकार को बंधक को आजाद कराने के लिए किसी कट्टर नक्सली को नहीं छोडने का सुझाव दिया गया, विशेष तौर पर ऐसे कट्टर नक्सली को जिसके उपर हत्या अथवा राज्य सरकार के साथ युद्ध छेड़ने अथवा मुठभेड़ जैसे संगीन आरोप लगे हों।
राज्यों ने इस नीति को मध्यस्थों का एक समर्पित दल गठित करने का सुझाव दिया था। इसके अलावा वार्ता विफल रहने की स्थिति में हथियारबंद कमांड़ो अभियान जैसी योजना को भी शामिल करने की बात कही थी। मसौदा नीति में माओवादियों की हिंसा में क्षतिग्रस्त संपत्ति, महत्वपूर्ण मामलों की प्रगति की निगरानी और झारखंड के सारंडा में विकास कार्यक्रम क्रियान्वित करने के लिए एक विशेष जांच दल के गठन का सुझाव भी दिया गया है। इसके अलावा जंगल अधिकार कानून लागू करने के संबंध में भी चर्चा की गयी।
केन्द्र सरकार पहले ही नक्सल प्रभावित राज्यों को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एकीकृत कमान संरचना गठित करने के लिए लिख चुका है। केन्द्र ने इसके लिए माह में कम से कम एक बार बैठक करने के लिए भी कहा है। इस बैठक में नक्सलियों द्वारा किसी नागरिक को ढाल बनाने जैसे संकट के बारे में भी चर्चा की गयी। (एजेंसी)

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