आरक्षण मामले में केंद्र की याचिका पर सोमवार को सुनवाई
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आरक्षण मामले में केंद्र की याचिका पर सोमवार को सुनवाई

न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन एवं न्यायमूर्ति जे.एस. खेहड़ की खंडपीठ केंद्र सरकार की अपील में उठाए गए बिंदुओं पर विचार करेगी।

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं में अन्य पिछड़े वर्गो के लिए निर्धारित कोटे में से ही अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण निरस्त करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ केंदऱ सरकार की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन एवं न्यायमूर्ति जे.एस. खेहड़ की खंडपीठ केंद्र सरकार की अपील में उठाए गए बिंदुओं पर विचार करेगी। केंद्र सरकार का तर्क है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षण का प्रावधान निरस्त करने का आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय त्रुटिपूर्ण है क्योंकि गहन सर्वेक्षण के बाद इस वर्ग को आरक्षण प्रदान करने के आंकड़े तैयार किए गए थे।
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने 28 मई को अपने निर्णय में कहा था कि अन्य पिछड़े वर्गो के लिए निर्धारित 27 फीसदी आरक्षण में से अल्पसंख्यकों के लिए 4.5 फीसदी आरक्षण देने का फैसला केंद्र सरकार ने बहुत हल्के ढंग से किया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का प्रावधान किसी बुद्धिमत्तापूर्ण तरीके से नहीं बल्कि धार्मिक आधार पर किया गया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय या अल्पसंख्यकों के लिए शब्द के इस्तेमाल से ही यह पता चलता है कि आरक्षण का यह प्रावधान किसी अन्य आधार पर नहीं बल्कि सिर्फ धार्मिक आधार पर ही किया गया है।
केन्द्र सरकार ने उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव से पहले 22 दिसंबर, 2011 को केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़े वर्गो के लिए निर्धारित 27 फीसदी कोटे में से 4.5 फीसदी आरक्षण अल्पसंख्यकों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए करने की घोषणा की थी जिसे आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। (एजेंसी)

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