कोल ब्‍लॉक अनियमितता: अब एकजुटता दिखाएगी यूपीए
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कोल ब्‍लॉक अनियमितता: अब एकजुटता दिखाएगी यूपीए

कोयला ब्लाक आवंटन में कथित अनियमितता की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को हास्यास्पद कहकर खारिज करते हुए सरकार ने भाजपा से सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इस पर संसद में चर्चा करने को कहा है। यानी विपक्ष के सामने यूपीए अब एकजुटता दिखाएगी।

नई दिल्ली : कोयला ब्लाक आवंटन में कथित अनियमितता की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग को हास्यास्पद कहकर खारिज करते हुए सरकार ने भाजपा से सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इस पर संसद में चर्चा करने को कहा है। यानी विपक्ष के सामने यूपीए अब एकजुटता दिखाएगी।
इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि हम चर्चा कराने को तैयार हैं। हम इस विषय में उठाए जाने वाले सभी मुद्दों का संतोषप्रद उत्तर दे सकते हैं। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि विपक्ष की मांग हास्यास्पद और आधारहीन है। भाजपा तिल का ताड़ बनाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस विषय पर सदन में चर्चा करनी चाहिए। इस विषय पर उनकी भूमिका ठीक नहीं है। वे जानते हैं कि इसमें कुछ भी नहीं है। फिर भी वह एक ऐसी स्थिति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं जो है ही नहीं। वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने सरकार के पूरी तरह से विफल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि कैग की रिपोर्ट में कोयला ब्लाक आवंटन में भारी अनियमितता की बात कही गई है जो निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने से जुड़ा है।
प्रधानमंत्री स्वयं इस मंत्रालय (कोयला) के लंबे समय तक प्रभारी रहे हैं। ऐसे में उनकी जवाबदेही बनती है। यह पूछे जाने पर कि कैग की रिपोर्ट के आलोक में लोक लेखा समिति (पीएसी) क्या प्रधानमंत्री से भी पूछताछ करेगी, उन्होंने कहा कि जब वह किसी मंत्रालय के स्वयं काफी समय तक प्रभारी रहे हों, तो पूछताछ की जानी चाहिए। संप्रग के एक वर्ग का मानना है कि अगर विपक्ष संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग करता है और अगर इससे संसद का कामकाज सुचारू रूप से चलना सुनिश्चित हो सकता है तो सरकार को संयुक्त संसदीय समिति गठित करने का विरोध नहीं करना चाहिए।
संप्रग के इस वर्ग का यह भी मानना है कि कैग की रिपोर्ट को लेकर उत्पन्न विवाद के समाप्त होने तक खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे को टाल दिया जाना चाहिए। सरकार के प्रबंधक कैग के अति सक्रियता को लेकर चिंतित हैं और उनका मानना है कि उसकी रिपोर्ट से देश में सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाएं और ढांचागत विकास को नुकसान पहुंचेगा। कैग की रिपोर्ट को लेकर हंगामें के कारण आज संसद के दोनों सदनों में सामान्य काम काज नहीं हुआ। कैग की तीन रिपोर्टों के संसद में शुक्रवार को पेश होने के बाद लोकसभा और राज्यसभा की आज पहली बार बैठक हुई थी। सोमवार को ईद के कारण संसद में अवकाश था। भाजपा इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रही है।
संसद के मानसून सत्र के बीच आई कैग की इन रिपोर्टों से विपक्ष को सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने का नया हथियार मिल गया है। संसद का यह मानसून सत्र सात सितंबर तक चलने वाला है। हालांकि सरकार और कांग्रेस कैग की रिपोर्ट और भाजपा की प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को पहले ही खारिज कर चुकी है। इतना की नहीं वह लेखा परीक्षक पर लक्ष्मण रेखा को पार करने का भी आरोप लगा चुकी है।
उधर, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष जोशी ने आरोप लगाया कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है। प्रधानमंत्री का अपना कार्यकाल विफलताओं की कहानी बयां करता है, जहां एक के बाद एक घोटाले हो रहे हैं, देश में उपद्रव हो रहा है, अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है और कोई नीति नहीं है। (एजेंसी)

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