दिल्‍ली गैंगरेप: 9 महीने के बाद बेसब्री से न्‍याय का इंतजार, फैसला कुछ ही देर में
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दिल्‍ली गैंगरेप: 9 महीने के बाद बेसब्री से न्‍याय का इंतजार, फैसला कुछ ही देर में

राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष 16 दिसंबर को चलती बस में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में चारों आरोपियों पर न्यायालय मंगलवार को अपना फैसला सुनाएगा। इस बर्बर घटना के बाद फैले व्यापक जनाक्रोश के कारण केंद्र सरकार को सख्त दुष्कर्म-रोधी कानून बनाना पड़ा।

ज़ी मीडिया ब्‍यूरो/बिमल कुमार
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में पिछले वर्ष 16 दिसंबर को चलती बस में एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में चारों आरोपियों पर न्यायालय मंगलवार को दोपहर बाद अपना फैसला सुनाएगा। इस बर्बर घटना के बाद फैले व्यापक जनाक्रोश के कारण केंद्र सरकार को सख्त दुष्कर्म रोधी कानून बनाना पड़ा।
कोर्ट का फैसला आज दोपहर साढ़े बारह बजे के बाद आने की उम्‍मीद है। इस बीच सभी आरोपी साकेत कोर्ट पहुंच गए। ये आरोपी तिहाड़ जेल से कोर्ट लाए गए। गौर हो कि इस केस में नाबालिग आरोपी को तीन साल की सजा हुई है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना इस मामले के चार आरोपियों, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर के भविष्य का फैसला करेंगे। 23 वर्षीय प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ हुई बर्बरतापूर्ण घटना के नौ महीने बाद न्यायालय का फैसला आ रहा है।
चारों आरोपियों पर अन्य आरोपों के साथ-साथ सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास, अप्राकृतिक अपराध, सुबूतों को नष्ट किए जाने एवं लूट का मामला दर्ज है। दोषी पाए जाने पर उन्हें अधिकतम मौत की सजा दी जा सकती है। इस मामले में आरोपी नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड ने 31 अगस्त को तीन वर्ष किशोर सुधार गृह में बिताने की सजा सुनाई है। हालांकि नाबालिग के खिलाफ न्यायालय के फैसले पर पीड़िता के परिवार वालों ने नाराजगी जाहिर की थी और नाबालिग को और सख्त सजा दिए जाने की इच्छा जाहिर की थी।
पीड़िता की घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी। इस मामले में तीन जनवरी को आरोपपत्र दाखिल हुआ तथा पांच फरवरी को सुनवाई शुरू हुई। अभियोजन पक्ष ने 85 गवाह पेश किए जबकि बचाव पक्ष के 17 गवाहों के बयान लिए गए।
पुलिस ने अपने आरोपपत्र में कहा था कि घटना में नाबालिग ने पीड़िता के साथ सबसे अधिक बर्बरता वाला व्यवहार किया था। मामले में कुल पांच व्यक्ति आरोपित थे, लेकिन मुख्य आरोपी राम सिंह ने सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

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