पितृत्व विवाद : कोर्ट ने एनडी का अनुरोध ठुकराया
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पितृत्व विवाद : कोर्ट ने एनडी का अनुरोध ठुकराया

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक युवक द्वारा दायर किये गये पितृत्व वाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी के उस अनुरोध को आज ठुकरा दिया कि अदालत परिसर के अलावा किसी अन्य जगह पर उनसे जिरह की जाये।

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक युवक द्वारा दायर किये गये पितृत्व वाद में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी के उस अनुरोध को आज ठुकरा दिया कि अदालत परिसर के अलावा किसी अन्य जगह पर उनसे जिरह की जाये। यह युवक तिवारी को अपना जैविक पिता घोषित करवाना चाहता है।
कोर्ट ने 88 वर्षीय कांग्रेस नेता से कहा कि वह अदालत द्वारा नियुक्त किये गये स्थानीय आयुक्त के समक्ष पितृत्व विवाद में बयान दर्ज करवाने के लिए आठ अक्तूबर को पेश हो तथा तारीखें आयुक्त द्वारा तय की जाएंगी। न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने तिवारी के अनुरोध को खारिज कर दिया। उन्होंने आग्रह किया था कि दिल्ली उच्च न्यायालय के बजाय उनसे नेहरू बाल भवन, यूपी सदन या जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय युवा केन्द्र में जिरह की जाये।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले के अन्य गवाहों से जिरह उच्च न्यायालय में की गयी थी तथा 32 वर्षीय रोहित शेखर और उसकी मां उज्ज्वला शर्मा के वकील द्वारा तिवारी से उच्च न्यायालय में ही जिरह होनी चाहिए। अदालत ने रोहित के वकील वेदांत वर्मा की इस दलील को दर्ज किया कि अदालत को तिवारी के आचरण पर ध्यान चाहिए कि वह पार्टी रैलियां और अन्य सार्वजनिक सामरोह में भाग ले रहे हैं लेकिन अदालत में जिरह के लिए पेश होने से बच रहे हैं।
साक्ष्य के लिए हलफनामा पेश करने का तिवारी को अंतिम मौका देते हुए अदालत ने कहा कि उन्हें एक हफ्ते के भीतर शपथपत्र दाखिल करना है। सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एवं स्थानीय आयुक्त एस एम चोपड़ा ने 21 अगस्त को वकील का बयान दर्ज किया तथा बयान दर्ज करने के काम को खत्म कर दिया क्योंकि तिवारी साक्ष्य में अपना हलफनामा दाखिल करने में विफल रहे। आयुक्त ने कहा, ‘प्रतिवादी तिवारी द्वारा साक्ष्य में हलफनामा नहीं दिये जाने के कारण आयुक्त द्वारा बयानों का दर्ज किया जाना संपन्न हो रहा है।’ (एजेंसी)

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