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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों वाली संविधान पीठ आज राष्ट्रपति के रूप में प्रणब मुखर्जी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी। इस याचिका को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष एवं गत राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहे पीए संगमा ने दायर किया है।
पीएस पारेख एंड कंपनी के माध्यम से दिए गए अपने जवाब में राष्ट्रपति ने याचिका में कोलकाता स्थित इंडियन स्टेटिस्टिकल इंस्टीट्यूट (आइएसआइ) से अपने इस्तीफे को लेकर उठाए गए कुछ मुद्दों को स्पष्ट किया है और दावा किया है कि लोकसभा के नेता के रूप में उन्हें इसका विशेषाधिकार था।
प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मेरे निर्वाचन को चुनौती देने के जो आधार हैं उन्हें गलत ढंग से समझा गया है। उन्होंने सात लाख तेरह हजार 763 वोट (कुल पड़े मतों में 70 फीसद से अधिक) पाए हैं और उचित तरीके से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं। संगमा को कुल डाले गए साढ़े दस लाख मतों में से केवल तीन लाख पंद्रह हजार 987 मत मिले थे।
संगमा का कहना है कि वह आइएसआई का अध्यक्ष के पद पर थे जो भारत सरकार के तहत लाभ का पद है और इस तरह से वह राष्ट्रपति चुनाव के अयोग्य हैं। इस पर मुखर्जी का कहना है कि उन्होंने 20 जून को ही इस पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने स्वपन घोष के जरिए एक पत्र भेजा था जो उसे लेकर उसी दिन गए थे 21 जून को आइएसआइ के निदेशक शहर में नहीं थे इसलिए उन्हें 23 जून को पत्र दिया जा सका। (एजेंसी)