बालाकृष्णन केस में SC का दखल से इंकार
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बालाकृष्णन केस में SC का दखल से इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के सक्षम प्राधिकरण से पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन के खिलाफ गलत आचरण के आरोपों की जांच करने को कहा है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन के खिलाफ कदाचार के मामले में राष्ट्रपति की राय लेने के लिए अनुशंसा करने हेतु केंद्र को निर्देश देने से आज इनकार कर दिया। बालाकृष्णन पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर कदाचार का आरोप है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि केंद्र के सक्षम प्राधिकारण से बालाकृष्णन के खिलाफ लगे न्यायिक कदाचार के आरोपों की जांच के लिए कहा। न्यायाधीश बी एस चौहान और जे एस खेहर की खंडपीठ ने कहा कि अगर इन आरोपों में कोई भी सचाई है तो यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ जांच के लिए उच्चतम न्यायालय को राय दें।

 

कोर्ट ने सिविल सोसाइटी कॉमन कॉज संगठन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका में न्यायालय से मांग की गयी थी कि वह केन्द्र को निर्देश दे कि वह बालाकृष्णन को एनएचआरसी के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति की राय ले और सुप्रीम कोर्ट उसके अनुरूप कार्य करे।

 

इस एनजीओ ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश और उनके परिजनों पर बालाकृष्णन के सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान घोषित आय से ज्यादा संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है।

 

बालाकृष्णन वर्ष 2000 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के पद पर नियुक्त हुए थे और 14 जनवरी, 2007 को वह मुख्य न्यायाधीश बने। 12 मई, 2010 को वह सेवानिवृत हुए जिसके बाद उन्हें एनएचआरसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। एनजीओ ने न्यायालय से गृह मंत्रालय को भी निर्देश देने का आग्रह किया कि वह सुप्रीम कोर्ट को मानवाधिकार कानून के तहत इस मामले को देखने को कहे।

 

बालाकृष्णन इस समय एनएचआरसी के अध्यक्ष हैं और मानवाधिकार कानून के तहत ऐसा प्रावधान है कि एनएचआरसी के अध्यक्ष और सदस्यों को तब तक नहीं हटाया जा सकता जब तक कि राष्ट्रपति की राय पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच के बाद उस पर कदाचार साबित नहीं हो जाता। एनजीओ ने अपनी याचिका में मीडिया में आयी खबरों का जिक्र किया था जिससे कि उसके आरोपों को बल मिले कि सुप्रीम कोर्ट में बालकृष्णन के न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान उनके परिजनों ने बेनामी संपत्ति अर्जित की।

 

इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह बालकृष्णन पर लगे आरापों की जांच करा रहा है। केंद्र ने जांच स्थिति से संबंधी रिपोर्ट भी कोर्ट को सौंपी थी।

 

कोर्ट ने इस रिपोर्ट के अध्ययन के बाद केंद्र सरकार से पूछा कि वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश पर लगे आरोपों पर आगे क्या कार्रवाई करना चाहता है और वह इससे उसे अवगत कराए।  (एजेंसी)

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