‘आरोपी नेताओं के लिए भी बनें फास्ट ट्रैक अदालतें’
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‘आरोपी नेताओं के लिए भी बनें फास्ट ट्रैक अदालतें’

संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को सुझाव दिया कि नेताओं द्वारा किए जाने वाले बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करके अधिकतम छह महीने के भीतर फैसला सुना देना चाहिए।

नई दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने सोमवार को सुझाव दिया कि नेताओं द्वारा किए जाने वाले बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें गठित करके अधिकतम छह महीने के भीतर फैसला सुना देना चाहिए।
दिल्ली में पिछले महीने चलती बस में सामूहिक बलात्कार का शिकार बनी लड़की के मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने की घोषणा के बीच कमलनाथ ने ‘भाषा’ से खास बातचीत में कहा, ‘राजनीतिकों पर बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोपों की जांच के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने चाहिए। जिससे अगर कोई राजनीतिक ऐसे अपराधों का दोषी हो तो उसे तुरंत सज़ा दी जा सके।’
उन्होंने कहा कि राजनीतिकों पर लगे जघन्य अपराधों के आरोपों के फैसले फास्ट ट्रैक (त्वरित) अदालतों के जरिए छह महीने के भीतर आ जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे एक तो दोषी नेताओं को समयबद्ध सीमा के भीतर दंड मिलेगा और जो निर्दोष हैं उनका दामन साफ हो सकेगा।
किन राजनीतिकों को फास्ट ट्रैक अदालतों के दायरे में लाया जाए, इसके बारे में उन्होंने कहा, ‘उन सभी ऐसे वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और नगर निगम पाषर्दों को इसके दायरे में लाया जाए जो बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के आरोपी हों।’
उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी राजनीतिक दलों में सर्वानुमति बनाने का प्रयास किया जाएगा।
एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म की एक रिपोर्ट के अनुसार 369 सांसदों और विधायकों के विरूद्ध महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले हैं।
इसके अलावा हाल ही में उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि आपराधिक मामलों का सामना कर रहे सभी सांसदों और विधायकों को निलंबित किया जाए। लेकिन शीर्ष अदालत ने इस पर यह कह कर सुनवाई करने से मना कर दिया कि सांसदों और विधायकों को निलंबित करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।
कमलनाथ ने कहा कि सामूहिक बलात्कार के बाद और उससे पहले से भी नेताओं को लेकर लोगों में जिस तरह की भावना बन रही है उसके लिए जरूरी हो गया है कि जघन्य अपराध के आरोपी सभी पूर्व एवं वर्तमान जन प्रतिनिधियों के मामलों का निपटारा फास्ट्र ट्रैक अदालतों के जरिए किया जाए।
उन्होंने कहा कि नेताओं का जघन्य अपराधों में शामिल होना न सिर्फ राजनीति बल्कि राजनीतिक व्यवस्था और उससे भी बढ़ कर लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत ही खतरनाक है।
लोकतंत्र को बचाने के लिए उन्होंने जघन्य अपराधों के आरोपी राजनीतिकों के मामलों को फास्ट ट्रैक अदालतों के द्वारा निपटाने की व्यवस्था को जरूरी और आज की मांग बताया।
कमलनाथ ने कहा, ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है कि राजनीति के रास्ते उन लोगों के लिए ना ना खुले हों जिनके आने से पूरी राजनीतिक और लोकतांत्रिक व्यवस्था बदनाम हो।
उन्होंने कहा कि कुछ गलत लोगों को संसदीय राजनीति, संसदीय प्रजातंत्र और पूरे लोकतांत्रिक तंत्र को बदनाम करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है।
राजनीति को साफ सुथरा करना किसी एक दल का दायित्व नहीं बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सभी पार्टियों का दायित्व है कि वह ये देखें कि कुछ राजनीतिक लोग सारी राजनीतिक व्यवस्था को नीचा दिखाने का काम नहीं करने पाएं।
महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए कानून को और कड़ा किया जाने पर चर्चा कराने के वास्ते संसद का विशेष सत्र बुलाने से पहले ही इंकार कर चुके कमलनाथ ने कहा कि इस बारे में 23 दिसंबर को गठित न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की रिपोर्ट आ जाने पर संसद में चर्चा का लाभ होगा। इस समिति को 30 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है।
फरवरी के तीसरे सप्ताह से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उसमें बलात्कार के खिलाफ कानून को सख्त बनाने वालों संशोधनों को पारित करने को सबसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी। (एजेंसी)

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