कोयला आधारित ऊर्जा परियोजनाएं ‘हानिकारक’: पचौरी
Advertisement

कोयला आधारित ऊर्जा परियोजनाएं ‘हानिकारक’: पचौरी

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) के चेयरमैन आर के पचौरी ने सरकार द्वारा कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं को अपनाने के रुख को ‘हानिकारक’ करार दिया और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये अक्षय तथा परमाणु ऊर्जा स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया।

नई दिल्ली : जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) के चेयरमैन आर के पचौरी ने सरकार द्वारा कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं को अपनाने के रुख को ‘हानिकारक’ करार दिया और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये अक्षय तथा परमाणु ऊर्जा स्रोतों के उपयोग पर जोर दिया।

कोयला आधारित बिजली क्षेत्र से जलवायु को खतरा के बारे में अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘..हमें बिजली उत्पादन को कार्बन उत्सर्जन मुक्त करने की जरूरत है। अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी एक विकल्प है, परमाणु ऊर्जा भी एक विकल्प हो सकता है।’’ देश में कोयला आधारित बिजली उत्पादन में बड़े निवेश तथा समय लगने को रेखांकित करते हुए पचौरी ने कहा कि देश में 30 करोड़ लोग बिजली से वंचित है, उन्हें अक्षय उर्जा स्रोतों का उपयोग कर बिजली उपलब्ध करायी जा सकती है।

संयुक्त राष्ट्र संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से उत्पादित बिजली के पारेषण तथा वितरण में काफी नुकसान होता है। पचौरी ने कहा, ‘‘विभिन्न अवस्थाओं में बड़े पैमाने पर बिजली का नुकसान होता है..मेरे विचार से यह बहुत बेकार दृष्टिकोण है। आज हमारे पास अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी है। अगर हम सभी प्रकार की लागत और लाभ पर गौर करे तो यह आर्थिक नजरिये से कहीं आगे है।’’

उन्होंने कहा कि 2010 में दुनिया में 49 गीगीटन कार्बन डाईआक्साइड का उत्सर्जन हुआ जो 2000 में 39 गीगाटन था। इसका मतलब है कि हमने 10 साल में 10 गीगाटन सीओ2 का उत्सर्जन किया। संयुक्त राष्ट्र की स्थानीय संयोजक लिसे ग्रांड ने कहा कि ऊर्जा सभी लोगों खासकर गरीब जनता के लिये सस्ती दर पर उपलब्ध होनी चाहिए।

Trending news