सरकार ने सोमवार को बताया कि देश में पेट्रोलियम पदाथरे के शोधन की क्षमता को बढ़ाने का सतत प्रयास किया जा रहा है ताकि भारत पर निर्भर विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने के साथ विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सके।
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नई दिल्ली : सरकार ने सोमवार को बताया कि देश में पेट्रोलियम पदाथरे के शोधन की क्षमता को बढ़ाने का सतत प्रयास किया जा रहा है ताकि भारत पर निर्भर विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने के साथ विदेशी मुद्रा भी अर्जित की जा सके।
लोकसभा में तथागत सतपति के पूरक प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम एवं प्रकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि रिफायनरी क्षेत्र को जून 1998 से लाइसेंस मुक्त कर दिया गया है और देश में कहीं भी निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी तकनीकी एवं आर्थिक व्यवहार्यता के अनुरुप रिफायनरी स्थापित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में देश की तेल शोधन क्षमता 1999 के 69.99 एमएमटी से बढ़कर 2014 में 215 एमएमटी हो गई है। जबकि 2013.14 में देश की घरेलू खपत 158.2 एमएमटी रही है। मंत्री ने कहा कि तेल शोधन के क्षेत्र में कई दक्षेस और विकासशील देश भारत पर निर्भर है। कई ऐसे देश हैं जहां कच्चा तेल सस्ता उपलब्ध है लेकिन तेल शोधन सुविधा की कमी है।
प्रधान ने कहा कि भारत आने वाले दिनों में निजी क्षेत्र पर ध्यान देते हुए अपनी पेट्रोलियम रिफायनिंग क्षमता बढ़ाने पर जोर देगा ताकि इस क्षेत्र में हब बन सके। इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी और विदेशी मुद्रा भी अर्जित होगी।