12 गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों की बैठक मंगलवार को
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12 गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों की बैठक मंगलवार को

गैर कांग्रेस और गैर भाजपा विकल्प के गठन के लिए 12 वाम और धर्म निरपेक्ष दल मंगलवार को बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें वे अपनी रणनीति का ऐलान कर सकते हैं। आम चुनावों से पहले एक नये मोर्चे को आकार देने के उद्देश्य से ये बैठक हो रही है। वाम सूत्रों ने बताया कि चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा।

नई दिल्ली : गैर कांग्रेस और गैर भाजपा विकल्प के गठन के लिए 12 वाम और धर्म निरपेक्ष दल मंगलवार को बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें वे अपनी रणनीति का ऐलान कर सकते हैं। आम चुनावों से पहले एक नये मोर्चे को आकार देने के उद्देश्य से ये बैठक हो रही है। वाम सूत्रों ने बताया कि चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होगा। इसमें कांग्रेस के नेतृत्व वाला संप्रग, भाजपा के नेतृत्व वाला राजग और गैर कांग्रेस एवं गैर भाजपा का गठबंधन होंगे । ये 12 दल अखिल भारतीय गठबंधन के लिए अपने अपने राज्यां से अपनी ताकत को पूल करेंगे। चार वाम दलों के अलावा गठबंधन में जदयू, बीजद, अन्नाद्रमुक, जद-एस, सपा, अगप, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) और मनप्रीत सिंह बादल की पीपुल्स पार्टी आफ पंजाब होगी।
कल की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौडा, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, जदयू प्रमुख शरद यादव, भाकपा के वयोवृद्ध नेता ए बी बर्धन, माकपा नेता प्रकाश कारात और सीताराम येचुरी, भाकपा नेता सुधाकर रेडडी, जेवीएम (पी) प्रमुख बाबू लाल मरांडी, अगप के प्रफुल्ल महंत और मनप्रीत बादल के शामिल होने की संभावना है।
सूत्रों ने कहा कि गठबंधन में कुछ अन्य दल भी जल्द ही शामिल हो सकते हैं। साथ ही कहा कि इन दलों ने एक ब्लॉक का गठन किया था ताकि पिछले सत्र में संसद में विशिष्ट मुद्दों को मिल जुलकर उठाया जा सके। कल की बैठक में ये दल संभवत: अपनी राजनीतिक स्थिति और नीतियों को लेकर व्यापक रणनीति तैयार करेंगे।
सूत्रों ने कहा कि इसका यह मतलब नहीं है कि ये सभी पार्टियां गठबंधन करेंगी या फिर सभी राज्यों में सीटों का बंटवारा करेंगी। इन दलों ने एक बयान में कहा कि मूलभूत ढांचा तैयार करते हुए वैकल्पिक मोर्चे के सिद्धांतों और दिशानिर्देशों को कल जारी किये जाने की उम्मीद है।
माकपा महासचिव प्रकाश करात पूर्व में कह चुके हैं कि ऐसे विकल्प का उभरना सभी धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक ताकतों के परस्पर मिलने का एक मंच साबित होगा जो कांग्रेस शासन का अंत होते देखना चाहती हैं और जो सांप्रदायिक विचारधारा वाले दल को केन्द्र में सत्ता में आने से रोकना चाहती हैं। (एजेंसी)

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