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नई दिल्ली : नरेन्द्र मोदी की ओर से पेश चुनौतियों को खारिज करने वाले अपने पार्टी सहयोगियों से असहमति जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे चाहे जैसे भी हों, उनकी पार्टी 2014 के चुनाव में पूरे आत्मविश्वास के साथ जाएगी।
मनमोहन ने कहा कि एक संगठित पार्टी के रूप में हम सत्ता पलटने की विपक्ष की ताकत को कम कर के नहीं आंक सकते। इसलिए मैं उन लोगों में से एक हूं जो अपने विरोधियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है।
प्रधानमंत्री यहां एक अग्रणी अखबार के कार्यक्रम में संबोधित करने के बाद सवालों का जवाब दे रहे थे। इससे पहले, अपने संबोधन में मनमोहन ने उन लोगों की आलोचना की जो समूचे राजनीतिक वर्ग पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हैं और कटुता फैलाते हैं। इससे पूर्व अपने संबोधन में मनमोहन ने ऐसे लोगों की आलोचना की, जो पूरे राजनीतिक वर्ग को भ्रष्ट होने का आरोप लगाने का प्रयास करते हैं।
मनमोहन ने लोगों से ‘बड़ी तस्वीर’ देखने पर जोर देते हुए कहा कि पिछले दो साल के दौरान, कुछ अच्छे और सरोकारी नागरिकों ने समूचे राजनीतिक वर्ग पर भ्रष्ट एवं जनविरोधी होने का आरोप लगा कर कलह फैलाने की कोशिश की। अनेक यह कहने लगे कि लोकतंत्र ने भारत में ठीक से काम नहीं किया। उन्होंने संसद के फैसले का सम्मान करने से इनकार कर संसद की संस्था पर हमला किया।
एग्जिट पोल में दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की भविष्यवाणी की गई है। मतगणना रविवार को होनी है। मनमोहन ने हालांकि इसे कोई तवज्जो नहीं दी। जारी चुनावी भविष्यवाणी को तवज्जो नहीं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आत्मविश्वास की भावना से चुनाव में जा रही है और विधानसभा चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, उससे भ्रमित नहीं होना चाहिए।
प्रधानमंत्री से उनके कुछ कैबिनेट सहयोगियों के विविध विचारों के बारे में पूछा गया था जिसमें से एक में कहा गया है कि मोदी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए जबकि दूसरा मत भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की चुनौती को खारिज करता है। मनमोहन ने कहा कि वह भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को ‘बहुत गंभीरता’ से लेते हैं और उसमें ढिलाई की कोई गुंजाइश नहीं है। मनमोहन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राजनीतिक पार्टी होने के नाते हम शासन की बागडोर अस्थिर करने की विपक्ष की शक्ति को कम कर के नहीं आंक सकते। उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों में से हूं जो अपने विरोधियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं। ढिलाई के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। मनमोहन ने इस सवाल को खारिज कर दिया जिसमें पूछा गया था कि क्या सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक वोट बटोरने का कोई शिगुफा है। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश यह सुनिश्चित करने की है कि अगर दंगों को रोका नहीं जा सकता है तो पीड़ितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह वोट बटोरने वाला कोई शिगुफा नहीं है। मैं समझता हूं कि पिछले पांच या छह साल में हम अपने देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगों की समस्या का सामना कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने सांप्रदायिक हिंसा विधेयक के बुनियादी उसूलों की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर दंगों को नहीं रोका जा सकता, दंगों के पीड़ितों के लिए पर्याप्त मुआवजा होना चाहिए। अगर विधेयक पारित होता है तो इससे खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी। मनमोहन की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब विधेयक से कई प्रावधानों को वापस लेने की पहल की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह समुदायों के बीच निरपेक्ष है।
सिंह ने गुरूवार को कहा था कि सरकार विधायी महत्व के विषयों पर व्यापक आम सहमति बनाने का प्रयास करेगी। जबकि इसी दिन मोदी ने साम्प्रदायिकता एवं लक्षित हिंसा निरोधक विधेयक को आपदा का नुस्खा करार दिया था। अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर उतार चढ़ाव है और पिछली नीतियों की खामियों के बोझ के बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर आगे बढ़ रही है। मीडिया और लोगों से बड़े परिदृश्य पर ध्यान देने का आग्रह करते और आशावादी रुख अख्तियार करते हुए सिंह ने कहा कि भारत आगे बढ़ रहा है। भारतीय आगे बढ़ रहे हैं, भारतीय लोगों की इस भावना को हमें सभी समय बनाये रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारें आती है और जाती हैं। हम सभी इस पटकथा के पात्र है, विभिन्न मंचों के कलाकार है, भारत का आगे बढ़ना जारी रहेगा और ऐसा हो रहा है और इससे सभी को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी, यह बड़ी तस्वीर है। अल्पावधि के लिए हम नश्वर लोग स्थान ग्रहण करते हैं, हमें भारत के सर्वश्रेष्ठ के लिए प्रयास करना चाहिए, दुनिया और मानवता के लिए प्रयास करना चाहिए।
मनमोहन ने कहा कि विकास दर का वाषिर्क अनुपात पिछले दो दशकों में दोगुणा होकर 7 प्रतिशत हो गया है और भारतीय अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है कि उतार-चढ़ाव आते रहेंगे। आज कई लोग पांच प्रतिशत वार्षिक विकास दर इससे असंतुष्ट महसूस करते हैं जबकि दो दशकों से भी अधिक समय में हमारी पंचवर्षीय योजना के विकास दर का लक्ष्य रहा। (एजेंसी)