बीमा विधेयक को लेकर सरकार की दुविधा बढ़ी, हो सकते हैं संशोधन
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बीमा विधेयक को लेकर सरकार की दुविधा बढ़ी, हो सकते हैं संशोधन

विवादास्पद बीमा संशोधन विधेयक को पारित कराने को लेकर सोमवार को दुविधा की स्थिति बन गई। विपक्षी दलों ने प्रवर समिति द्वारा इसकी गहराई से जांच की अपनी मांग पर जोर दिया तो सरकार ने संकेत दिया कि वह इसे पारित कराने के लिए संसद का संयुक्त अधिवेशन बुला सकती है।

बीमा विधेयक को लेकर सरकार की दुविधा बढ़ी, हो सकते हैं संशोधन

नई दिल्ली : विवादास्पद बीमा संशोधन विधेयक को पारित कराने को लेकर सोमवार को दुविधा की स्थिति बन गई। विपक्षी दलों ने प्रवर समिति द्वारा इसकी गहराई से जांच की अपनी मांग पर जोर दिया तो सरकार ने संकेत दिया कि वह इसे पारित कराने के लिए संसद का संयुक्त अधिवेशन बुला सकती है।

संसदीय कार्यमंत्री एम वैंकया नायडू ने इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई थी लेकिन यह गतिरोध को समाप्त करने में विफल रही। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।

विधेयक मंगलवार की कार्यसूची में भी शामिल नहीं है और इस बात के संकेत हैं कि मतभेदों को दूर करने के लिए दो दिन में राजनीतिक दलों की एक और बैठक हो सकती है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली तथा गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने नेपाल यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और माना जाता है कि उन्हें बीमा विधेयक पर ताजा घटनाक्रम की जानकारी दी। जेटली ने शाम को कहा कि अगर कांग्रेस ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढाकर 49 प्रतिशत करने वाले इस मत्वपूर्ण विधेयक के पारित होने में बाधा पहुंचाई तो सरकार के पास इसके लिये राजनीतिक व संवैधानिक उपाय उपलब्ध हैं।

जेटली ने कहा कि कांग्रेस के पास विधेयक को मंजूर करने, खारिज करने या विधेयक की भाषा में संशोधन करने का ही विकल्प है। लेकिन वह इसे हमेशा के लिए रोके नहीं रख सकती। संसद के संयुक्त अधिवेशन बुलाए जाने की संभावना संबंधी सवाल पर उन्होंने उम्मीद जताई कि यह स्थिति नहीं आएगी। हालांकि विधेयक पारित हो यह सुनिश्चित करने के लिए लोकसभा व राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन की संभावना की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम उपलब्ध राजनीतिक व संवैधानिक उपायों का इस्तेमाल करेंगे।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस की रुकावट से यह विधेयक ज्यादा से ज्यादा छह महीने के लिए टल सकता है।

जेटली ने कहा कि अगर कांग्रेस सुझाए तो वे उसके अनुसार विधेयक की भाषा में संशोधन पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने सुबह हुई सर्वदलीय बैठक में आनंद शर्मा (कांग्रेस) को विधेयक की भाषा में बदलाव की पेशकश की थी। वहीं, कांग्रेस ने सरकार को इस मुद्दे पर सभी भागीदारों में सहमति बनाने को कहा है और बीमा विधेयक में बदलावों पर प्रवर समिति द्वारा विचार किए जाने का समर्थन किया है। कांग्रेस के अनुसार इसके बाद विधेयक पर संसद के शीतकालीन सत्र में विचार किया जा सकता है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विधेयक शीतकालीन सत्र में पारित हो सकता है और हम इसका पारित होना सुनिश्चित करेंगे। इससे पहले इस विधेयक पर आम राय कायम करने के लिए सरकार की पहल पर यहां सुबह हुई सर्वदलीय बैठक में मतभेद दूर नहीं किये जा सके। बैठक का आयोजन संसदीय कार्यमंत्री एम वैंकैया नायडू ने किया था।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक में कहा कि इस विधेयक की भाषा और इसके प्रावधान एक तरह से पिछले विधेयक के समान ही हैं, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के समय पेश किया गया था। राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ‘राजग’ का बहुमत नहीं है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में कांग्रेस के 69 सदस्यों सहित इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने या इसका विरोध करने वाले दलों की कुल सदस्य संख्या 133 है, जबकि समर्थन में केवल 68 सदस्य ही हैं।

गौरतलब है कि एनसीपी और बीजेडी (बीजू जनता दल) ने हाल में मंत्रिमंडल द्वारा कुछ संशोधनों के साथ स्वीकृत इस विधेयक का उसी रूप में समर्थन करने की घोषणा कर रखी है। बीमा विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग करने वाले दलों में कांग्रेस, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा, द्रमुक, जदयू, तृणमूल कांग्रेस और राजद शामिल हैं।

राज्यसभा में तृणमूल के 12, जदयू के 12, सपा के 10, बसपा के 14, सीपीआई-एम के 9 और सीपीआई के 2, राजद का 1 और डीएमके के 4 सदस्य हैं। इसके विपरीत सत्तारूढ भाजपा के सदस्यों की संख्या 42 है और उसके सहयोगी दल टीडीपी के 6, शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के 3-3 और आरपीआई (आठवले) का एक सदस्य है। अन्ना द्रमुक के 11 सदस्य हैं। विधेयक को समर्थन की घोषणा करने वाले बीजेडी और एनसीपी के सदस्यों की संख्या क्रमश: 7 और 6 है। सदन में 10 मनोनीत और 9 निर्दलीय सहित अन्य छोटी पार्टियों के सदस्यों की संख्या 12 है।

आज की सर्वदलीय बैठक सरकार की पहल पर हुई, ताकि राज्य सभा में विपक्ष के नेताओं को भी विधेयक पर साथ लिया जा सके। बैठक के बाद नायडू ने कहा कि सरकार ने विपक्षी नेताओं से कहा है कि इस बारे में जो भी सार्थक सुझाव मिलेंगे, वह उन पर विचार करेगी। नायडू ने कहा कि विपक्ष से इस विधेयक पर इसी सत्र में चर्चा कर इस पर निर्णय करने की अपील की गयी।

सरकार की ओर से इसमें वित्त मंत्री अरण जेटली और संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू शामिल हुए। इससे पहले 9 विपक्षी दलों ने सभापति हामिद अंसारी को एक नोटिस दे कर इस विधेयक को प्रवर समिति के समक्ष रखे जाने की मांग की थी। विपक्ष के रख को देखते हुए सरकार ने राज्य सभा में इस पर आज चर्चा कराने का निर्णय कल रात टाल दिया था।

इस विधेयक में बीमा क्षेत्र की निजी कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी को 49 प्रतिशत तक करने की छूट है। साथ में शर्त है कि इनका प्रबंधकीय नियंत्रण भारतीय भागीदारों के ही हाथ में होगा। अभी बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी भागीदारी (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 26 प्रतिशत है।

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