‘ये लोकतंत्र की ताकत है कि गरीब व्यक्ति लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहा है’
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‘ये लोकतंत्र की ताकत है कि गरीब व्यक्ति लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर रहा है’

नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह लोकतंत्र की ताकत है कि एक गरीब परिवार का व्यक्ति आज प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब कभी किसी चायवाले का जिक्र होता है तो उन्हें अपनापन महसूस होता है।

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि यह लोकतंत्र की ताकत है कि एक गरीब परिवार का व्यक्ति आज प्रधानमंत्री के रूप में ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जब कभी किसी चायवाले का जिक्र होता है तो उन्हें अपनापन महसूस होता है।

ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में मोदी ने कहा कि यह भारत के संविधान की शोभा और ताकत है कि एक छोटे से नगर का और एक गरीब परिवार के एक बालक ने आज लाल किले की प्राचीर से भारत के तिरंगे झंडे के सामने सिर झुकाने का सौभाग्य प्राप्त किया है। यह भारत के लोकतंत्र की ताकत है। इसके लिए मैं भारत के संविधान के निर्माताओं को नमन करता हूं।

पर्यटन को बढ़ावा देने और इससे रोजगार की अपार संभावनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि हम पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं। पर्यटन से गरीब से गरीब आदमी को रोजगार मिलता है। इससे पकौड़े बेचने वाला कमाता है, चना बेचने वाला कमाता है, चाय बेचने वाला कमाता है। चाय वाले का जिक्र करते हुए उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि जब कभी चाय बेचने वाले की बात होती है तो मुझे जरा अपनापन महसूस होता है।

उन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने और इसे राष्ट्रीय चरित्र बनाने में सबसे बड़ी रूकावट गंदगी है। हमें सफाई पर ध्यान देना होगा। अगर सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें, हमें गंदगी नहीं करनी है तो दुनिया की कौन सी ताकत हमारे यहां गंदगी पैदा कर सकती है।

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