मॉनसून की स्थिति में 7 जुलाई के बाद सुधार आने की उम्‍मीद: कृषि मंत्रालय
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मॉनसून की स्थिति में 7 जुलाई के बाद सुधार आने की उम्‍मीद: कृषि मंत्रालय

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि मॉनसून की स्थिति में 7 जुलाई के बाद सुधार आने की उम्मीद है लेकिन सरकार कमजोर बारिश की स्थिति से निपटने को पूरी तरह से तैयार है।

मॉनसून की स्थिति में 7 जुलाई के बाद सुधार आने की उम्‍मीद: कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली : कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि मॉनसून की स्थिति में 7 जुलाई के बाद सुधार आने की उम्मीद है लेकिन सरकार कमजोर बारिश की स्थिति से निपटने को पूरी तरह से तैयार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉनसून की स्थिति और खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने की स्थितियों की समीक्षा करने के लिए एक बैठक की। यह बैठक दो घंटे से भी अधिक चली, जिसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और कृषि मंत्री ने हिस्सा लिया।

बैठक के बाद कृषि मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून और सूखे की स्थिति के बारे में विचार विमर्श हुआ। कृषि मंत्रालय और मौसम विभाग ने प्रधानमंत्री को देश में मानसून की प्रगति और धान सहित खरीफ फसलों के चालू बुवाई अभियान के बारे में संक्षिप्त ब्यौरा दिया।

सिंह ने कहा कि मॉनसून आने में एक सप्ताह की देर हुई है, लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार 7 जुलाई के बाद मानसून की स्थिति अच्छी होगी। अल नीनो का प्रभाव पहले के अनुमान के मुकाबले कम रहने की संभावना है। मंत्री ने कहा कि स्थिति उतनी विकट नहीं दीख रही है जिसनी पहले दीख रही थी। उन्होंने कहा कि अगर सामान्य से कम मानूसन रहने के कारण स्थितियां खराब होती है तो हम उससे निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। देश में 17 जून तक पहले दौर में 45 प्रतिशत कम बरसात हुई है। मौसम विभाग ने दीर्घावधिक औसत के सामान्य से कम यानी 93 प्रतिशत बरसात होने की भविष्यवाणी की है।

सिंह ने कहा कि आपदा योजना तैयार कर ली गई है और राज्यों को परामर्श जारी किए गए हैं। खराब मानसून की स्थिति से निपटने के लिए वित्तीय पैकेज के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि हम इस मुद्दे के बारे में विभिन्न मंत्रालयों से संपर्क कर रहे हैं और तब हम मंत्रिमंडल में एक प्रस्ताव लाएंगे। मंत्री ने सूचित किया कि राज्यों से कहा गया है कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत उपलब्ध धन में से 10 प्रतिशत धन को अपर्याप्त बरसात के कारण संभावित सूखे जैसी स्थिति से निपटने के मकसद से उपयुक्त हस्तक्षेप के लिए अगल रखा जाए।

पिछले सप्ताह तक धान की बुवाई 7.59 लाख हेक्टेयर, दलहनों की बुवाई 2.60 लाख हेक्टेयर, तिलहनों की बुवाई 1.23 लाख हेक्टेयर और मोटे अनाज की बुवाई 12.29 लाख हेक्टेयर में की गई है। सूत्रों के अनुसार बैठक में खाद्य सुरक्षा कानून को अमल में लाने की अंतिम समयसीमा को 4 जुलाई के बाद तक विस्तार करने के बारे में विचार किया गया। यह कानून 5 जुलाई 2013 को लागू हुआ था। कानून की शुरुआत के बाद एक वर्ष के भीतर राज्यों को योग्य लाभार्थियों की शिनाख्त करनी है। अभी तक केवल 11 राज्यों ने इस कानून को लागू किया है।

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