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लंदन : धरती को सुरक्षित रखने वाले ओजोन की परत के लिए खतरा पैदा करने वाले तीन अज्ञात क्लोरोफ्लुरोकार्बन और एक इससे संबंधित यौगिक का पता चला है। ये अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन की परत में बन रहे छेद को ठीक करने की प्रक्रिया को धीमा कर रहे हैं। ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजिला के शोधकार्ताओं ने पाया है कि मानवों द्वारा निर्मित ये चार हानिकारक रसायन 82,000 टन की मात्रा में वातावरण में घुल चुके हैं।
शोधपत्र तैयार करने वाले एक वैज्ञानिक जोहांस लॉबे ने कहा, हालांकि, यह मात्रा 80 के दशक में सीएफसी के हुए विकिरण से काफी कम है, लेकिन यह मात्रा इतनी है कि यह ओजोन के छेद को ठीक करने की प्रक्रिया धीमी कर सकती है। मानट्रियल प्रोटोकॉल के तहत 1989 से ओजोन का क्षरण करने वाले रसायन के बनाने की सीमा तय करने के बाद से ओजोन का छेद ठीक हो रहा था।
सीएफसी आमतौर पर रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और एरोसोल में इस्तेमाल किया जाता है। लॉबे ने कहा, 2010 में सीएफसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन कहीं न कहीं कोई खामी रह गई, जिससे कीटनाशक और इलेक्ट्रॉनिक सामान की सफाई करने वाले कुछ चीजों के उत्पादन में इन रसायनों का इस्तेमाल होता है। (एजेंसी)