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ज़ी मीडिया ब्यूरो
नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों पार्टियों पर दिल्ली विधानसभा को बाधित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच मिलीभगत का अब खुलासा हो गया है। कांग्रेस और भाजपा की मिलीभगत की वजह से विधानसभा नहीं चल पाई।
केजरीवाल ने बीजेपी और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों पार्टियों में सांठगांठ हैं और मुकेश अंबानी को बचाने के लिए दोनों पार्टियों एक हो गई हैं। दोनों दलों के नेताओं को अंबानी से ठेके मिलते थे। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी का नहीं बल्कि बीजेपी का समर्थन कर रही है। हम कल यानी शुक्रवार को जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश करेंगे।
विधानसभा का चार दिवसीय यह सत्र अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने जन लोकपाल विधेयक और स्वराज विधेयकों को पारित करने के लिए बुलाया। सत्र का आज पहला दिन था।
दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग को लेकर भाजपा विधायक विधानसभा के बीचोंबीच आ गए और नारेबाजी की जिससे अध्यक्ष को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। जब विधानसभा की बैठक शुरू हुई, तब अध्यक्ष द्वारा अपने संबोधन में इसे विशेष सत्र बतलाने पर भाजपा विधायकों ने ऐतराज जताया। उन्होंने मांग की कि वह इसे बजट सत्र कहें। वहीं, भारती के इस्तीफे की भाजपा की मांग का कांग्रेस विधायक भी समर्थन करते हुए नजर आए।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि विधानसभा में कभी कांग्रेस के विधायक तो कभी भाजपा के विधायक वेल में आकर हंगामा करते रहे। इस कारगुजारी के पीछे दोनों दलों में एक प्रकार का तालमेल दिख रहा था। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दोनों दलों ने जानबूझकर विधानसभा की कार्यवाही नहीं चलने दी। दोनों ही दल उद्योगपति मुकेश अंबानी के खिलाफ केस दर्ज करने को पचा नहीं पा रहे हैं। दोनों दलों के स्टैंड का आज पूरी तरह खुलासा हो गया है।
इस बीच, आप के संयोजक ने कहा कि जनलोकपाल बिल शुक्रवार को सदन के पटल पर रखा जाएगा। सरकार के सूत्रों के अनुसार, विधेयक को सदस्यों को वितरित किया जाएगा और इसे शुक्रवार को पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तय प्रक्रिया के अनुसार विधेयक को कल विधानसभा में पेश किए जाने की संभावना है और यदि कांग्रेस एवं भाजपा इसके पक्ष में मतदान नहीं करतीं तो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इस्तीफा दे सकते हैं। केंद्र से टकराव लेते हुए आप सरकार पहले ही घोषित कर चुकी है कि वह केंद्र की अनुमति जरूरी होने की कानून मंत्रालय की राय के बावजूद जनलोकपाल विधेयक को विधानसभा में पेश करने जा रही है।