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कराड (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र में गठबंधन से राकांपा के अलग होने के बाद सरकार के अल्पमत में आने की वजह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता पृथ्वीराज चव्हाण के लिए विधानसभा चुनाव एक तरह से अस्तित्व की लड़ाई हैं क्योंकि उन्हें सतारा जिले में कांग्रेस के परंपरागत गढ़ कराड में अपनी ही पार्टी के एक बागी से कड़ी चुनौती मिल रही है।
चव्हाण के प्रतिद्वंद्वी, 79 वर्षीय विलासराव उंदालकर ने लगातार सात बार यह सीट कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीती और 35 साल से मतदाताओं पर उनकी पकड़ है।
जब कराड से आने वाले चव्हाण ने यहां से ही चुनावी लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया तो उंदालकर ने पार्टी के खिलाफ विरोध का झंडा उठाकर एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा। वर्ष 2011 में राज्य के मुख्यमंत्री बनने से पहले चव्हाण एक सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।
एक ही चुनावी मैदान में एक दूसरे के सामने उतरे उंदालकर और चव्हाण के व्यक्तित्व एक दूसरे से बेहद भिन्न हैं। क्षेत्र में ‘काका’ के नाम से प्रसिद्ध उंदालकर पृथ्वीराज चव्हाण जैसी हाई-प्रोफाइल नहीं रखते। चव्हाण को तकनीकी का कुशल जानकार एवं शिक्षाविद माना जाता है, जिसने अपनी पढ़ाई अमेरिका में की। उंदालकर के समर्थकों का कहना है कि साधारण सा धोती-कुर्ता पहनने वाले काका अपने पास एक पेन या मोबाइल तक नहीं रखते लेकिन लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं को वे उनके पहले नाम से पहचानते हैं। ये लोग यह भी कहते हैं कि लोगों के साथ संपर्क का अभाव चव्हाण की एक बड़ी कमजोरी है। हालांकि कांग्रेस के स्रोतों का कहना है कि चव्हाण ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान अपने निर्वाचन क्षेत्र में काफी काम किया है। उन्होंने विकास कार्यों के लिए 1800 करोड़ रूपए का कोष दिया जिसके तहत कराड में हवाईअड्डा, चार लेन का सड़क नेटवर्क और पुलिस आवासीय कालोनी का निर्माण आदि शामिल हैं।