कोलकाता में जन्मे ब्रिटिश लेखक नील मुखर्जी के नए उपन्यास ‘दी लाइव्स ऑफ अदर्स’ को वर्ष 2014 के प्रतिष्ठित बूकर पुरस्कार के दावेदारों की सूची में शामिल किया गया है। उपन्यास का कथानक 1960 के दशक के अशांत बंगाल और एक दूसरे से कट चुके एक परिवार के इर्दगिर्द घूमता है।
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लंदन : कोलकाता में जन्मे ब्रिटिश लेखक नील मुखर्जी के नए उपन्यास ‘दी लाइव्स ऑफ अदर्स’ को वर्ष 2014 के प्रतिष्ठित बूकर पुरस्कार के दावेदारों की सूची में शामिल किया गया है। उपन्यास का कथानक 1960 के दशक के अशांत बंगाल और एक दूसरे से कट चुके एक परिवार के इर्दगिर्द घूमता है।
ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज में शिक्षा हासिल कर चुके मुखर्जी इस वर्ष सूची में शामिल होने वाले एकमात्र भारतीय मूल के लेखक हैं । पहली बार इस पुरस्कार को राष्ट्रीयता से इतर अंग्रेजी लेखन के लिए खोला गया है।
वर्ष 2014 की पुरस्कार समिति के अध्यक्ष ए सी ग्रेलिंग ने कहा, हमें अपनी अंतरराष्ट्रीय सूची का ऐलान करते हुए खुशी हो रही है । मैन बूकर पुरस्कार ने अपनी सीमाओं को खोल दिया है और ये छह अद्भुत किताबें पाठकों को ब्रिटेन, न्यूयार्क, थाइलैंड, इटली, कोलकाता जैसे शहरों में ले जाती हैं और इनकी कहानियां वक्त के बीते लम्हों , मौजूदा हालात तथा भविष्य के सपनों को बुनती हुई चलती हैं। ब्रिटिश नागरिक मुखर्जी का यह नया उपन्यास है जो इस वर्ष मई में प्रकाशित हुआ है । इसकी कहानी कोलकाता के एक घोष परिवार पर केंद्रित है ।
सूची में अमेरिकी लेखकों जोशुआ फेरिस (टू राइज एगेन एट ए डिसेंट हावर) और केरन जाय फोलर (वी आर आल कमप्लीटली बिसाइड अवरसेल्व्स), ऑस्ट्रेलियाई लेखक रिचर्ड फ्लानगान (दी नैरो रोड टू दी डीप नार्थ) तथा ब्रिटिश लेखकों होवार्ड जैकोबसन तथा अली स्मिथ को भी शामिल किया गया है।