Indian Government: पिछले साल के आंकड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की तुलना में पांच दक्षिणी राज्यों की गैर-बजटीय उधारी में कुल हिस्सेदारी 93 प्रतिशत तक रही. उन्होंने कहा, ‘‘बाजार अनुशासन की वजह से ऐसा हो पाया. लोग बंगाल, पंजाब और राजस्थान की तुलना में इन दक्षिणी राज्यों को कर्ज देना अधिक पसंद कर रहे थे.’’
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Modi Government: नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यम ने सोमवार को राज्यों के वित्त के संदर्भ में पारदर्शिता की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे राज्यों को बाजार से प्रतिस्पर्धी दरों पर संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी. सुब्रमण्यम ने 'सेंटर फॉर सोशल एंड इकनॉमिक प्रोग्रेस' (सीएसईपी) की तरफ से आयोजित एक सम्मेलन में यह बात कही.
बेहतर प्रबंधन
इसके साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्यों के कर्ज परिदृश्य के बेहतर प्रबंधन के लिए राजकोषीय परिषद जैसे किसी संस्थान की जरूरत भी बताई. उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए वित्त के मामले में एकरूपता से कहीं अधिक महत्वपूर्ण पारदर्शिता है और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी-न-किसी रूप में वित्तीय पहलुओं का जिक्र जरूर हो. इसकी वजह यह है कि बाजार पारदर्शिता को अहमियत देता है.
गैर-बजटीय उधारी
उन्होंने पिछले साल के आंकड़ों का उदाहरण देते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल, पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों की तुलना में पांच दक्षिणी राज्यों की गैर-बजटीय उधारी में कुल हिस्सेदारी 93 प्रतिशत तक रही. उन्होंने कहा, ‘‘बाजार अनुशासन की वजह से ऐसा हो पाया. लोग बंगाल, पंजाब और राजस्थान की तुलना में इन दक्षिणी राज्यों को कर्ज देना अधिक पसंद कर रहे थे.’’
राजस्व
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को भी अतिरिक्त बजटीय संसाधन जुटाने के मामले में पारदर्शिता बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने उपकर और अधिभार के लिए अनुशासन को भी जरूरी बताया. हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली लागू होने के बाद राज्यों के पास राजस्व कम होता जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की तरफ से प्रायोजित योजनाओं की संख्या बढ़ने से राज्यों का करीब चार लाख करोड़ रुपये राजस्व घट गया है. (इनपुट: भाषा)
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