Sebi Update: सेबी की बोर्ड मीटिंग में कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. सेबी (SEBI) के इस कदम से आईपीओ जारी करने वाली कंपनी को पैसा प्राप्त करने और आवंटियों को शेयर हासिल करने में कम समय लगेगा.
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SEBI on IPO: अगर आप भी अक्सर आईपीओ (IPO) में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. जी हां,
मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने सार्वजनिक निर्गम (Public Issue) के शेयरों की लिस्टिंग के लिये समय अवधि को छह दिन से घटाकर तीन दिन कर दिया है. सेबी की बोर्ड मीटिंग में कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. सेबी (SEBI) के इस कदम से आईपीओ जारी करने वाली कंपनी को पैसा प्राप्त करने और आवंटियों को शेयर हासिल करने में कम समय लगेगा. सेबी (SEBI) के निदेशक मंडल की बैठक में कुल सात प्रस्तावों को मंजूरी दी गई.
1 सितंबर से लागू होगा नया नियम
सेबी की तरफ से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, 'संशोधित टी+3 (निर्गम बंद होने के दिन से तीन दिन) दिनों की संशोधित टाइम लिमिट को दो चरणों में लागू किया जाएगा. 1 सितंबर, 2023 या उसके बाद खुलने वाले आईपीओ के लिये यह स्वैच्छिक होगा. एक दिसंबर, 2023 या इसके बाद के आईपीओ के मामले में यह जरूरी होगा.' मीडिया से बातचीत में सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि लिस्टिंग के समय को तीन दिन तक कम करने का फैसला 'वैश्विक स्तर पर पहली बार है. मुझे यकीन है कि इसमें कोई समस्या नहीं होगी.'
छह दिन से घटाकर तीन दिन की गई टाइम लिमिट
सेबी ने कहा कि यह फैसला बड़े निवेशकों, रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट, ब्रोकर-वितरकों और बैंकों समेत सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद लिया गया है. निदेशक मंडल ने सार्वजनिक निर्गमों में शेयरों की लिस्टिंग की टाइम लिमिट को निर्गम बंद होने (टी) की तारीख से मौजूदा छह दिनों से घटाकर 3 दिन करने को मंजूरी दी है. इसके साथ, सेबी (SEBI) ने पारदर्शिता बढ़ाते हुए कुछ कैटेगरी के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिये खुलासा जरूरतों को बढ़ाने का फैसला लिया है.
और भी कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई
नए नियम ऐसे एफपीआई (FPI) के लिए लागू होंगे, जो एक ही कॉरपोरेट ग्रुप में हिस्सेदारी को केंद्रित करते हैं. इस कदम का मकसद भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण के जोखिमों से बचाने के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (MPS) आवश्यकताओं की संभावित हेराफेरी और एफपीआई मार्ग के संभावित दुरुपयोग को रोकना है. इसके अलावा, जिन अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है, उसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये अतिरिक्त खुलासों की जरूरत तथा बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (इनविट) एवं रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) के यूनिटधारकों के लिये निदेशक मंडल में नामांकन अधिकार पेश करना शामिल हैं.
सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए खुलासा आवश्यकताओं को भी बढ़ाएगा. इसके तहत कुछ मानदंडों और शर्तों को पूरा करने वाले एफपीआई के स्वामित्व, आर्थिक हित और नियंत्रण के संबंध में अतिरिक्त खुलासे को अनिवार्य करना शामिल है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके अलावा नियामक स्कोर्स (सेबी शिकायत निपटान प्रणाली) के माध्यम से निवेशक शिकायत प्रबंधन तंत्र को मजबूत करेगा और नये मंच को ऑनलाइन विवाद समाधान व्यवस्था से जोड़ेगा.