कैसे हुआ था बी आर चोपड़ा की महाभारत में समय का अवतार, जानिए ये दिलचस्प कहानी

महाभारत के टाइटल गीत के खत्म होते ही टीवी स्क्रीन काली हो जाया करती थी और फिर गूंजती थी एक आवाज, मैं समय हूं. दरअसल समय के तौर पर अपनी आवाज देने वाले थे देश के जाने-माने वॉयस ओवर कलाकार हरीश भिमानी. भिमानी समय की आवाज के लिए कैसे पसंद किए गए यह किस्सा बेहद रोचक है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 14, 2020, 08:47 PM IST
    • समय की आवाज के लिए चुने गए थे लीजेंड दिलीप कुमार, अशोक कुमार से लेकर साउथ के एनटीआर
    • प्रख्यात वॉयस ओवर कलाकार हरीश भिमानी ने दी थी महाभारत के समय को आवाज
कैसे हुआ था बी आर चोपड़ा की महाभारत में समय का अवतार, जानिए ये दिलचस्प कहानी

नई दिल्लीः कोरोना कहर के कारण देश में लॉकडाउन का आलम है. लोगों के पास खाली समय है. ऐसे में उन्हें घर पर रोकने के लिए पुराने प्रसिद्ध धारावाहिक दोबारा शुरू किए गए हैं. लोग इन्हें बड़े ही चाव से देख रहे हैं और पसंद कर रहे हैं. सिनेमा के छोटे पर्दे पर रामानंद सागर ने रामायण और बी आर चोपड़ा ने महाभारत बनाकर लंबे समय तक एक छत्र राज किया है. उनका तूती आज भी बोलती है. महाभारत के किरदारों ने जितना जीवंत अभिनय किया था, उतना ही रोचक उनके चयन का किस्सा है.

समय की आवाज रही है खासी पसंद
महाभारत के टाइटल गीत के खत्म होते ही टीवी स्क्रीन काली हो जाया करती थी और फिर गूंजती थी एक आवाज, मैं समय हूं. दरअसल समय के तौर पर अपनी आवाज देने वाले थे देश के जाने-माने वॉयस ओवर कलाकार हरीश भिमानी.

भिमानी समय की आवाज के लिए कैसे पसंद किए गए और समय को कहानी सुनाने के लिए सूत्रधार कैसे बनाया गया यह दोनों ही किस्से बेहद रोचक हैं. इस 2 मिनट के अदृश्य किरदार को निभाने के लिए लीजेंड दिलीप कुमार से लेकर साउथ के सिनेमा के दिग्गज कलाकारों के नाम सोचे गए थे. लेकिन हरीश भिमानी का समय तब बहुत बलवान था.

ऐसे हुआ समय का अवतार
सूत्रधार के तौर पर समय को अपनाने के पीछे भी एक रोचक वाकया है. सीरियल में युधिष्ठिर का किरदार निभाने वाले गजेंद्र चौहान ने इस रहस्य को सामने रखा था. उन्होंने बताया कि डॉ. राही मासूम रजा महाभारत को लिख रहे थे. सब कुछ ठीक-ठीक तय होने के बाद  भी यह नहीं हो पा रहा था कि कहानी कि शुरुआत कहां से करें और कौन सा ढंग सबसे रोचक होगा.

नाटकों में एक सूत्रधार का किरदार होता है, जो कहानी के नैरेट करता है. टीवी सीरियल हम लोग में अशोक कुमार नैरेट किया करते थे. तय हुआ कि पौराणिक समय की कॉस्ट्यूम पहनाकर एक किरदार कहानी शुरू करेगा. मामला जमा नहीं, फिर साउथ के एनटीआर को चुना गया और दिलीप कुमार के नाम पर बात हुई है. लेकिन यह दोनों ही बातें करिश्माई नहीं लगीं.

...और एक दिन लग गया गलत अलार्म
लेखक डॉक्टर राही मासूम रजा सुबह ही बीआर चोपड़ा के ऑफिस पहुंच जाते थे फिर दोपहर लंच के लिए घर जाते थे. उनकी पत्नी डेढ़ बजे का अलॉर्म लगाकर रखती थीं और जब दो बजे राही जी घर पहुंचते थे तो उनको खाना तैयार मिलता था. एक दिन उनकी पत्नी ने गलती से रात डेढ़ बजे का अलार्म लगा दिया.

इससे रजा साहब की नींद टूट गई. फिर वे अपने लिखने वाले कमरे में पहुंच गए. यहां पहली बार ख्याल आया कि समय मुझे असमय उठा सकता है तो कहानी क्यों नहीं सुना सकता. अगले दिन उन्होंने यह प्रस्ताव सामने रखा कि कोई चेहरा न हो, बस आवाज हो. फिर उन्होंने लिखा, मैं समय हूं और आज मैं आपको महाभारत की कहानी सुनाने जा रहा हूं.

फिर इस तरह समय के साथ आए हरीश भिमानी
इस किस्से को खुद भिमानी ने बताया था. वे बताते हैं कि महाभारत में शकुनि का किरदार कर रहे गुफी पेंटल कास्टिंग भी कर रहे थे. एक बार अचानक ही उन्होंने फोन किया और रात दस बजे चोपड़ा ऑफिस पहुंचने के लिए बोल दिया. हरीश भिमानी ने कहा कि सात बजे के बाद वे रिकॉर्डिंग नहीं करते, आवाज थक जाती है.

गुफी पेंटल ने कहा कि तू नखरे न कर, सीधे आ जा. पेंटल के कहने पर हरीश ठीक दस बजे स्टूडियो पहुंच गए. यहां बी आर चोपड़ा, डॉ. राही मासूम रज़ा और पंडित नरेंद्र शर्मा भी मौजूद थे.  हरीश को सीधे 'समय' की स्क्रिप्ट दी गई और वह माइक के पीछे पहुंच गए. पहली बार में उनका अंदाज़ पसंद नहीं किया गया तो रजा ने कहा 'बेटा यह तो डॉक्यूमेंट्री जैसा कुछ लग रहा है.

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नहीं पता था क्या है समय
ऐसा दो-तीन बार हुआ. बार-बार पढ़वाए जाने से वह निराश हो गए. यह सिलसिला कुछ दिनों तक चला. उन्हें फोन कर के बुलाया जाता और समय की स्क्रिप्ट पढ़वाई जाती और वापस भेज दिया जाता. हारकर भिमानी ने उनसे पूछा कि आखिर यह समय क्या है.

रज़ा ने कहा 'बेटा यह महाभारत के समय की आवाज़ है. इस पर हरीश ने परेशान होकर कहा 'यह समय की आवाज़ कैसी होती है और स्क्रीन पर क्या दिखाई देगा.' जवाब मिला - स्क्रीन पर कुछ नहीं होगा.

...और फिर समय ने इतिहास रच दिया
अपनी बात पूरी करते हुए हरीश बताते हैं 'इस पर काफी बहस और चर्चा के बाद मुझसे कहा गया कि हमें आवाज़ तो आपकी चाहिए लेकिन अंदाज़ आपका नहीं चाहिए. फिर मैंने सोचा कि मुझे कैसे नहीं बोलना है. यानी न तो आकाशवाणी की तरह, न तो ईश्वर की कोमल आवाज की तरह और न ही कल्पना.

बस एक साधारण आवाज, लेकिन जो दिव्य है. इसके बाद इस सोच के साथ भिमानी ने रिकॉर्ड की 'समय' की वह आवाज़ जिसने टेलीविज़न और फिल्म की दुनिया में इतिहास रच दिया. 

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