कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन से बढ़ रही हैं मानसिक बीमारियां

कोरोना की वजह से दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में लॉकडाउन है. लोग अपने घरों में बंद हैं. लेकिन इसकी वजह से उनकी मानसिक परेशानियों में इजाफा हो रहा है. एक सर्वे में ये बाद सामने आई है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 18, 2020, 06:38 PM IST
    • कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से लोग हो रहे डिप्रेशन का शिकार
    • कोरोना संकट, भविष्य की चिंताएं
    • कोरोना महामारी के गंभीर होंगे परिणाम
    • मानसिक रोगियों की संख्या 15-20% इज़ाफा
    • देश में बढ़ी मानसिक मरीजो की संख्या
    • चिंता और भय है मानसिक रोग की वजह
    • भविष्य को लेकर बढ़ रही चिंताएं
    • डिप्रेशन में रहने वालों की निगरानी की जरुरत
कोरोना संकट के बीच लॉकडाउन से बढ़ रही हैं मानसिक बीमारियां

नई दिल्ली: महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को एक ऐसे संकट के सामने ला खड़ा किया है जिसका असर कई वर्षों तक दिखेगा. भय और चिंता के माहौल में मानव लॉक़डाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की जिंदगी जीने को मजबूर हो गया है. ऐसे में दुनिया भर के लोगों के दिलो दिमाग को कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

 

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
दुनियाभर के मानसिक रोग और स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने भविष्य को लेकर चेतावनी दी है.  माना जा रहा है कि इस महामारी की त्रासदी में लोगों की मानसिक सेहत भी खराब हो रही है.  जिसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहेगा. 

न्यूरोसाइंटिस्ट, मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सभी देशों की सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि लोगों की मानसिक स्थिति पर इस माहौल का असर न पड़े. क्योंकि लॉकडाउन, खराब आर्थिक स्थिति, कोरोना का डर और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से लोग डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगी बन सकते हैं. 

ब्रिटेन और भारत में किया गया सर्वे
ब्रिटेन की संस्था ‘लैंसेट साइकेट्री’ ने मार्च में 1,099 लोगों का सर्वे किया. इसके नतीजों से पता चला था कि कोरोना के वजह से घर बैठे लोगों में डिप्रेशन के कई कारण हैं. 

ज्यादातर लोग भविष्य को लेकर चिंतित हैं. उनकी चिंताओँ में सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से बढ़ती दूरियां, कारोबार डूबने का डर, नौकरी जाने का खतरा, बेघर होने का खौफ शामिल हैं.

भारत में भी इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी के एक अध्ययन के अनुसार, कोरोना वायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है. ये एक चिंताजनक स्थिति है. क्योंकि कोरोना संकट तो आकर चला जाएगा. लेकिन लोगों के दिलो दिमाग पर इसका असर बहुत समय तक दिखाई देगा. 

 समस्या गंभीर होने से पहले तलाश करना होगा निदान
लॉकडाउन की वजह से घर में बंद होने की वजह से लोगों का तनाव और डिप्रेशन गंभीर रूप लेता जा रहा है. ऐसे लोगों की निगरानी की सख्त जरुरत हैं. इसके लिए मोबाइल फोन से जुड़ी नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. 

 कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एड बुलमोर के अनुसार लोगों की समस्याओं के निदान के विए डिजिटल संसाधनों का पूरी क्षमता से उपयोग करना चाहिए.  विशेषज्ञों का मानना है कि चिंता और डिप्रेशन में जी रहे लोगों की अनदेखी नहीं की जा सकती. ऐसे में ये समस्या भविष्य में विकराल रुप ले सकती है. 

लॉकडाउन के दौरान पिछले दिनों कई जगहों से आत्महत्या की भी खबरें आई थीं. इसपर पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं. 

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