नई दिल्लीः सनातन परंपरा और उसका विज्ञान कितना प्रबल हैं इसकी सत्यता हर पल की घटनाओं में दिखाई देती रहती है. मौसम के विज्ञान को ही देखें तो भारतीय मनीषा बादलों के घिरने से लेकर, बारिश होने और सूखा पड़ने, कम बारिश होने-ज्यादा बारिश होते तक का सटीक अनुमान नक्षत्रों की चाल से लगा लेती है. वर्तमान में उत्तर के मैदानी इलाकों के साथ दक्षिण के भाग भी सू्र्य की तपिश से झुलस रहे हैं. सनातन परंपरा में नौ दिन तक लगातार भीषण गर्मी होने के दिन निश्चित किए हैं, जिसे नौतपा कहते हैं.
यह है नौतपा का विज्ञान
हर साल मई महीने के आखिर में 'नौतपा' लगता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में एक बार 15 दिन के लिए सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आ जाता है. इसके शुरुआती नौ दिनों के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है. सूर्य की किरणें धरती पर लंबवत पड़ती हैं.
जिस वजह से तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाता है, चिलचिलाती गर्मी पड़नी शुरु हो जाती है. इस साल ये 'नौतपा' 25 मई से शुरू होकर 8 जून तक चलेगा.
घर में ही रहें, कोरोना से भी बचेंगे और गर्मी से भी
नौतपा के दिनों में लोगों को उनके घरों से कम निकलने की सलाह दी जाती है. लोगों को इस दौरान दोपहर 1 बजे से शाम के 5 बजे तक घरों से बाहर ना निकलने की सलाह दी गई है. इसीलिए आप से भी अपील है कि बेवजह घरों से बाहर न निकले, क्योंकि बाहर कोरोना का कहर तो है ही साथ ही गर्मी भी अपना रौद्र रुप दिखा रहा है. हालांकि मौसम विभाग की मानें तो 28 मई के बाद लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिल सकती है.
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इसलिए पड़ते हैं नौतपा
भारत के ठीक बीचों-बीच से होकर कर्क रेखा गुजरती है. आठ राज्यों को काटती हुई यह इमैजिनरी लाइन मौसम के लिहाज से बड़ी अहम है. मई-जून वह वक्त होता है जब सूरत की किरणें सीधी इस रेखा पर पड़ती हैं. जब धूप सीधे पड़ेगी तो गर्मी बढ़ना स्वाभाविक है. इसके अलावा सूरज और धरती के बीच बनने वाला कोण भी भारत में गर्मी के लिए जिम्मेदार है. इस कोण के आधार पर ही तय होता है कि धूप कितनी तीव्रता से धरती पर आएगी.
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