कोरोनाकाल में गणेश चतुर्थीः घर में कैसे पधारेंगे गजानन जी, मूर्तिकार परेशान

कोरोना ने हर सेक्टर में नुकसान पहुंचाया है. मूर्तिकला का व्यवसाय इससे अछूता नहीं है. महाराष्ट्र जो कि गणपति पूजा के लिए प्रसिद्ध है वहां भी मूर्तिकार इस बात से परेशान हैं कि उनका जीवन-यापन कैसे होगा, जो कि गणपति के मौके पर मूर्ति निर्माण करके चलता था,.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 19, 2020, 10:38 PM IST
    • लोग छोटी प्रतिमाओं का ही दे रहे ऑर्डर. उनकी भी संख्या बेहद कम
    • कोरोना के कारण मूर्तिकारों पर संकट, सूना बीत रहा त्योहार
कोरोनाकाल में गणेश चतुर्थीः घर में कैसे पधारेंगे गजानन जी, मूर्तिकार परेशान

नई दिल्लीः कहीं एकदंत गणपति, कहीं नृत्य करते गणपति, कहीं मां पार्वती की गोद में विराजित तो कहीं पिता महादेव की अर्चना करते गणपति, किसी-किसी जगह पर लोकनायक विनायक महाराज की तरह सिंहासन पर आसीन हैं और वरद मुद्रा से कृपा बरसा रहे हैं. जैसी-जैसी कलाकार की कल्पना, गणपति वैसा ही सहज आकार ले लेते हैं. और देखने वाली की दृष्टि भी उन्हें कई रूपों में देखती है. 

गणपति जी के अनेक रूप
कोई देखता है उन्हें संत हितकारी की तरह तो कोई देखता है, अंधों को आंख और कोढ़ी को काया देने वाले नाथ की तरह तो कहीं कोई माया भी मांग लेता है. मूर्तिकार मिट्टी को श्रद्धा में भिगोता जाता है और भगवान को बनाता जाता है.

सदियों से यह परंपरा यूं ही चली आ रही थी, इस बार भी जारी रहती, अगर विश्व भर में कोरोना नहीं होता तो. 

नहीं नजर आ रही मूर्ति निर्माण की कतारें
आलम यह है कि गणेश चतुर्थी की शुभ तिथि आ रही है, लेकिन मूर्तिकारों के दर पर श्रद्धावानों की दस्तक नहीं सुनाई दे रही है. लिहाजा चौराहों पर, घरों के बाहर, सड़क किनारे तरह-तरह के रंगों से तैयार होने वाली गणपति प्रतिमाओं की लंबी कतारें इस बार कम ही नजर आ रही हैं.

मूर्तिकारों का एक दुख, कोरोना के कारण इस बार मूर्ति के ऑर्डर ही नहीं मिले. 

परेशान हैं मूर्तिकार
कोरोना ने हर सेक्टर में नुकसान पहुंचाया है. मूर्तिकला का व्यवसाय इससे अछूता नहीं है. महाराष्ट्र जो कि गणपति पूजा के लिए प्रसिद्ध है वहां भी मूर्तिकार इस बात से परेशान हैं कि उनका जीवन-यापन कैसे होगा, जो कि गणपति के मौके पर मूर्ति निर्माण करके चलता था,

वहीं वे व्यवसायी भी परेशान हैं जिन्होंने एडवांस में छोटी-छोटी मूर्तियां खरीद ली थीं, लेकिन अब उन्हें मार्केट में नहीं निकाल पा रहे हैं. 

नहीं मिले बड़ी प्रतिमाओं के ऑर्डर
देश के अन्य दूसरे कोनों में भी कमोबेश यही हाल है. हरियाणा के अंबाला में मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार ने बताया कि इस बार गणपति के लिए गणेश प्रतिमाओं की मांग बहुत ही सीमित है.

प्रतिबंधों के चलते कई समितियां इस बार गणपति नहीं बैठाएंगी तो वहीं छोटी-छोटी बेहद कम ही प्रतिमाओं की बुकिंग हुई है. बड़़ी प्रतिमा जो कि अधिक लाभ देती है उनका कोई भी ऑर्डर नहीं आया है. 

पिछले साल बिकी थीं 4000 प्रतिमाएं
बेंगुलुरू में भी ऐसे ही हालात हैं. यहां के मूर्तिकार भी कोरोना के कारण कठिनाई महसूस कर रहे हैं. एक मूर्ति विक्रेता ने बताया कि पिछले साल उन्होंने गणपति के कई दिन पहले ही 4000 प्रतिमाएं बेच ली थीं,

लेकिन इस बार महामारी के बुरे दौर के चलते हमारा पूरा व्यापार ही चौपट हो गया है. हमें इस बार केवल अभी तक 50 से 100 ऑर्डर ही मिले हैं. 

छोटी मूर्तियों के मिले ऑर्डर, वे भी बेहद कम
छत्तीसगढ़ के एक बुजुर्ग मूर्तिकार का कहना है कि अपनी याद में मैं बीते 40 सालों से मूर्तियां बना रहा हूं. लोग गणपति की धूमधाम के साथ आते थे. हम भी 10 फ़ीट तक के गणपति जी बनाते थे. इस वर्ष न तो ग्राहक आए हैं और न ही कोई बड़ा आर्डर मिला है.

अब बड़े आर्डर मिलने की उम्मीद भी बेहद कम हैं. ग्राहक की उम्मीद में छोटी-छोटी मूर्तियां बना रहे हैं. अभी तीन फीट से बड़ी मूर्ति का कोई ऑर्डर नहीं मिला है. वह भी संख्या उंगली पर गिनने जितनी ही है. 

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